Stree Vimarsh Ka Kaljayee Itihas

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Stree Vimarsh Ka Kaljayee Itihas

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595.00 475.00

In stock

595.00 475.00

Author: Sanjay Garg

Availability: 4 in stock

Pages: 254

Year: 2023

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171382415

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

स्त्री विमर्श का कालजयी इतिहास

राष्ट्रीय अभिलेखागार में संग्रहीत अप्रतिम जनक दुलारी के संग्रह में स्त्री विमर्श के इतने संदर्भ मुखारित हुए कि उनकी उपयोगिता और उपादेयता स्वतः ही कालजयी हो जाती है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आजादी से पूर्व जब देश औपनिवेशिक दासता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, उस समय स्त्री चेतना देश की स्वतंत्रता के लिए भी जूझ रही थी और अपनी सामाजिक स्वतंत्रता के लिए भी।

स्त्री जिजीविषा शंका और कुशंकाओं से त्रस्त होने के बजाय संभावनाओं के विश्वास से भरी हुई थी। ‘महिला’ में रंभागौरी गांधी लिखती हैं कि क्षितिज में झलकते सूर्य की किरणें अंधकार को, अज्ञानरूपी अंधकार को हटा रही हैं। अभी सूर्य मध्यान्ह काल में नहीं आया है, परंतु आएगा जरूर। अतः उसके लिए सब बहनों को तैयार होना चाहिए। लेखिका स्त्रियों को कुप्रथाओं को तोड़ने का आह्वान करती हैं और हिम्मत से आगे बढ़ने की सलाह देती हैं।

जनक दुलारी संग्रह में स्त्री मुक्ति के इस व्यापक संघर्ष की प्रमाणिक जानकारी ही, हमें कुप्रथाओं की धुंध को चीरकर अतीत के आकाश में उगे स्त्री विमर्श के उस सर्वोत्तम प्रभात तक ले जाती है, जो संभावनाओं और आशाओं की स्वर्णिम आभा से दीप्त और प्रदीप्त है, जो भविष्य में स्त्री विमर्श का मार्ग सदियों तक प्रशस्त करेगा।

राष्ट्रीय अभिलेखागार ने ‘जनक दुलारी संग्रह’ के पृष्ठों पर बिखरे स्त्री विमर्श के इतिहास को पुस्तक रूप देकर समय की मुट्ठी से झरतीं हुई रेत होने से बचाकर एक अमिट शिलालेख बना दिया है।

यह शोधोत्सुक छात्रों एंवं जिज्ञासुओं लिए एक कालजयी संदर्भ ग्रंथ सिद्ध होगा।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

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