Tajmahal Mandir Bhawan Hai

-1%

Tajmahal Mandir Bhawan Hai

Tajmahal Mandir Bhawan Hai

180.00 179.00

In stock

180.00 179.00

Author: Purushottam Nagesh Oak

Availability: 5 in stock

Pages: 270

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9788188388714

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

ताजमहल मन्दिर भवन है

यह पुस्तक और इसकी पूर्ववर्ती पुस्तक ‘ताजमहल राजपूत प्रासाद था’, जो कि अनुसन्धान-कार्य हैं, के अतिरिक्त अन्य सभी पुस्तकें जो ताजमहल के सम्बन्ध में विगत ३०० वर्ष की अवधि में लिखी गई हैं सब कपोल-कल्पना पर आधारित हैं। बड़े गहन शोध के उपरान्त हमें यह जानकर आश्चर्य होता है कि ताजमहल के विषय में रचे गए इन्द्रजाल में सारे संसार में एक भी ऐसी पुस्तक नहीं मिली जो पुष्ट-प्रमाणयुक्त हो और जिसमें ताजमहल की मौलिकता का विस्तृत विवरण हो तथा तत्कालीन प्रमाणों को उद्धृत किया गया हो। क्योंकि किसी एक लेखक की धारणा उतनी ही है जितनी कि दूसरे की। इसलिए मात्र किंवदन्तियाँ ऐतिहासिक अनुसन्धान के लिए महत्त्वहीन हैं।

ताजमहल विश्व-प्रसिद्ध होने पर भी उसके विषय में तदनुरूप सन्देहरहित और अधिकृत विवरण का अभाव वास्तव में आश्चर्यजनक है। संसार-भर के विश्वविद्यालय और शोध-संस्थान ताजमहल-सदृश मोहक और आकर्षक विषय की क्यों और कैसे उपेक्षा कर सके हैं? क्यों ताजमहल के सम्बन्ध में उसकी मौलिकता, निर्माणकाल, निर्माण में व्यय, धन का स्रोत, निर्माता और शिल्पी, मुमताज के उसमें दफनाए जाने की तिथि, और भी इसी प्रकार के अन्य अनेक विवरण सारे वैसे ही अस्पष्ट, भ्रामक, विवादास्पद और वास्तविकता-रहित क्यों हैं?

कदाचित् आज तक कोई भी अनुसन्धानकर्ता ताजमहल के वृत्तान्त को तदनुरूप आधिकारिक रूप से प्रस्तुत करने में सफल नहीं हो सका। जिस किसी ने भी इस विषय पर शोध करने का प्रयास किया, वह अव्यवस्थित और परस्पर विरोधी सामग्रियों के विस्मय में फंसकर यह समझने लगा कि वह भी उसी पुरानी अलिफ- लैला की कहानी की पुनरावृत्ति करने लगा है। उसको भी अपने पाठकों के सम्मुख वही असंगत, अनियमित और सभी बिन्दुओं पर परस्पर विरोधी विवरण प्रस्तुत करना पड़ा। ताजमहल के सम्बन्ध में शाहजहाँ की कहानी के सभी पहलू सन्देहास्पद होने से ताजमहल की मौलिकता के विषय में अधिकृत विवरण प्रस्तुत करने का प्रत्येक प्रयास असफल सिद्ध होना स्वाभाविक था। ताजमहल के मूल के के विषय में निर्णायक शब्द कहने में न कोई कभी सफल हुआ और न किसी ने इसकी आशा ही की। सभी पूर्ववर्ती प्रयासों का असफल होना निश्चित था, क्योंकि वे सब भ्रान्ति पर आधारित थे। भ्रान्ति के आधार पर वे निर्धान्त निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सके।

परवर्ती पृष्ठों में हम यह सिद्ध करने का प्रयास करेंगे कि ताजमहल, जिसका अर्थ है-‘राजप्रासादों का शिरमौर’-प्राचीन हिन्दू भवन है, इस्लामी मकबरा नहीं। हम यह भी बताएँगे कि किस प्रकार इतस्ततः बिखरी सूचनाएँ-वास्तविक अथवा काल्पनिक-जोकि शाहजहाँ की कहानी से सम्बन्धित हैं, उचित स्थान पर आकर हमारी खोज की पुष्टि करती हैं। जिस प्रकार गणित के प्रश्न की सत्यता को जाँचने के अनेक प्रकार हैं उसी प्रकार ऐतिहासिक अनुसन्धान की कसौटी भी सभी असंगत बातों को त्यागकर संगत और तदनुरूप बातों को प्रस्तुत करने की सुविधा प्रदान करती है।

 

अनुक्रम

       प्राक्कथन

★       पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता

★       शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति

★       टैवर्नियर का साक्ष्य

★       औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन

★       पीटर मुण्डी का साक्ष्य

★       शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण

★       एक अन्य भ्रान्त विवरण

★       बादशाहनामे का विवेचन

★       ताजमहल की निर्माण-अवधि

★       ताजमहल की लागत

★       ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन ?

★       ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार

★       शाहजहाँ भावुकता-शून्य था

★       शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय

★       बाबर ताजमहल में रहा था

★       मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य

★       ताज की रानी

★       प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान

★       ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं

★       उत्कीर्ण शिला-लेख

★       ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद

★       प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति

★       दन्तकथा की असंगतियाँ

★       साक्ष्यों का संतुलन-पत्र

★       आनुसंधानिक प्रक्रिया

★       कुछ स्पष्टीकरण

★       कुछ फोटोग्राफ

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Tajmahal Mandir Bhawan Hai”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!