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Description
वैशाली की नगरवधू
‘वैशाली की नगरवधू’ एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था : ‘‘मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और ‘वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।’
‘वैशाली की नगरवधू’ में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति लोक-सुन्दरी अम्बपाली जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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