Vajrangi

-13%

Vajrangi

Vajrangi

150.00 130.00

Out of stock

150.00 130.00

Author: Virendra Sarang

Availability: Out of stock

Pages: 314

Year: 2011

Binding: Paperback

ISBN: 9788126719952

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

वज्रांगी

वजरंगी वीरेन्द्र सारंग उल्टी धारा किन्तु सही दिशा में बाकायदा तैरनेवाले कथा शिल्पी काशीनाथ सिंह जी को आदर एवं सम्मान सहित कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई कार्य समय अधिक खपाता है। निश्चित रूप से वज्रांगी के साथ भी ऐसा ही हुआ है। उपन्यास के पात्र एवं घटनाएँ काल्पनिक हैं। बहुत लोग हैं जो रामायण-कालीन घटनाओं को कल्पना की श्रेणी में रखते हैं।…लेकिन उस काल की अनुभूतियाँसंवेदनाएँव्यवहारमानसिकता ? मुझे लगता है कि यदि कुछ खास घटनाएँ घटी होंगी तो निश्चित ही ऐसी स्थिति रही होगी।

उपन्यास पहचान की परिस्थितियों से परिचित करता है। अध्ययन करते…सोचते-विचारते मुझे अनेक खुले द्वार दिखे। मुझे दिखा दो संस्कृतियों का युद्ध। मैंने एक प्रयास किया है कि द्वार में प्रवेश कर बिना संकोच एक यात्रा करूँ और मानसिकताओं के चित्र एकत्र करूँ। इस दौरान संवेदनाओं ने मुझे खूब छकायामानसिकताओं ने थका मारा और तब लगा कि अवश्य ही तमाम कल्पनाएँ हुई होंगी जो रक्त में समा गई हैं या स्वभाव बन गई हैं। अवश्य ही दो कोण आपस में मिल गए हैं।…और शायद यही कारण है कि हमारी हस्ती मिटती नहीं है। कथा में बेवजह की कल्पना हेतु स्थान नहीं है और अकल्पनीयता से परहेज किया गया है। शायद मैं सफल हुआ होऊँ कि परतें खोल सकूँ और अनेक प्रश्नों के उत्तर दे सकूँ। यदि ऐसा हुआ है तो निश्चित ही मेरा श्रम सार्थक हुआ है।

वीरेन्द्र सार

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Publishing Year

2011

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Vajrangi”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!