Wahan Tak Pahuchane Ki Daur

-23%

Wahan Tak Pahuchane Ki Daur

Wahan Tak Pahuchane Ki Daur

200.00 155.00

Out of stock

200.00 155.00

Author: Rajendra Yadav

Availability: Out of stock

Pages: 164

Year: 2011

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171190409

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

वहाँ तक पहुँचने की दौड़

राजेन्द्र यादव अपने दौर के विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण रचनाकार ही नहीं, नई कहानी आन्दोलन के प्रतिनिधि लेखक भी हैं। विगत कुछ वर्षों में राजेन्द्र यादव का रचनात्मक लेखन बहुत ही सीमित रहा है, परन्तु उनकी सक्रियता सदा बनी रही है। अपने लेखों, बहसों व ‘हंस’ के माध्यम से वह एक रचनात्मक माहौल तैयार करने की दिशा में ही सक्रिय नहीं रहे हैं, बल्कि लगभग सभी सामयिक, राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं में एक जीवंत हस्तक्षेप करते रहे हैं। वैसे भी किसी लेखक की सार्थकता अन्ततः इस बात में नहीं है कि उसने कितना लिखा, बल्कि इस बात में है कि उसने क्या लिखा और समाज तथा साहित्य विशेष के सन्दर्भ में उस लेखन का महत्त्व व भूमिका क्या रही।

राजेन्द्र यादव की कहानियाँ बदलते सन्दर्भों में अपनी सार्थकता तथा ‘रिलीवेंस’ खोजते पात्रों के ऊहापोह, द्वंद्व व आत्म-संघर्ष का लेखा-जोखा हैं। चूँकि राजेन्द्र यादव के पात्र अधिकांशतः मध्य वर्ग से सम्बन्धित हैं, सम्भवतः इसीलिए उनमें एक विशिष्ट किस्म की बौद्धिक ऊर्जा का भास है। यह वह वर्ग है, जो अपने कार्य-कलाप और मानसिकता से बदलते यथार्थ का गहरा अहसास ही नहीं कराता, बल्कि इस बात का भी संकेत देता है कि यह समाज आखिर जाने वाला किस दिशा में है। राजेन्द्र यादव की कहानियों को पढ़ना, नई कहानी की सामान्य प्रवृत्ति के अलावा कहीं आगे जाकर एक सजग और संवेदनशील रचनालोक से गुजरना है, जिसमें भावुकता का अनियंत्रित व असंतुलित प्रवाह न होकर (जो नई कहानी के रचनाकारों में दोष की हद तक है) एक सजग व नियंत्रित ‘इंटरप्ले’ देखने को मिलता है और यह किसी सिद्धहस्त रचनाकार की कलम से ही सम्भव हो सकता है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2011

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Wahan Tak Pahuchane Ki Daur”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!