Zinda Hone ka Sabut

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Zinda Hone ka Sabut

Zinda Hone ka Sabut

300.00 210.00

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300.00 210.00

Author: Zabir Hussain

Availability: 4 in stock

Pages: 151

Year: 2013

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126723652

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

जिंदा होने का सबूत

‘लोग कहते हैं, सूरज को अंधेरी खाई में गिरते देखना अशुभ है।’

‘अंधेरी खाई में कहां गिरता है सूरज ! वह तो बस एक करवट लेकर हरे-भरे खेतों में उगी फसलों के बीच छिप जाता है, कुछ घंटों के बाद दोबारा अपना सफर शुरू करने के लिए।’

एक बार, आसमान पर छाये बादलों के एक आवारा टुकड़े ने खेतों की गोद में गिरते सूरज को पूरी तरह अपनी मुट्ठियों में बंद कर लिया था। हम दोनों कुछ लम्हों के लिए कांप गए थे। हमारे शहर का सूरज डूबने के पहले ही काले धब्बों की ओट में छिप गया था।

मुझे नहीं मालूम, उस दिन और क्या हुआ था, पर मेरी और तुम्हारी आंखों ने कुछ लम्हों के बाद ही देखा कि सूरज आवारा बादलों की मुट्ठी से निकलकर दोबारा आसमान और ज़मीन जहां मिलते हैं, वहां दूर-दूर तक फैल गया और इसकी लाल-सुर्ख किरणों ने पूरे क्षितिज को अपने विशाल दायरे में समेट लिया।

जिन पाठकों ने जाबिर हुसेन की पिछली डायरियां पढ़ी हैं, उन्हें इस संकलन का नया कथा-शिल्प ज़रूर पसंद आएगा।

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Authors

Binding

Hardbound

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Publishing Year

2013

Pulisher

Language

Hindi

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