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Aamool Kranti Ki Chunauti
₹250.00 ₹200.00
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Author: J. Krishnamurti
Pages: 176
Year: 2019
Binding: Paperback
ISBN: 9789389373073
Language: Hindi
Publisher: Rajpal and Sons
आमूल क्रांति की चुनौती
दि अर्जेन्सी ऑव चेन्ज’ कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पुस्तक है, जैसा कि 1971 में लंदन से प्रकाशित इसके मूल अंग्रेज़ी संस्करण के मुखपृष्ठ पर इंगित किया गया था। जीवन से जुड़े विविध विषयों पर इस पुस्तक में बेबाकी के साथ प्रश्न-दर-प्रश्न पूछे गये हैं और कृष्णमूर्ति ने बड़ी बारीकी से उनकी पड़ताल की है। वे उत्तर देकर प्रश्न को निपटा नहीं देते, बल्कि इस सहसंवाद में उन प्रश्नों के नये, अनदेखे पहलुओं को उजागर करते चलते हैं, और साथ ही पूछ भी लिया करते हैं कि साथ-साथ की जा रही इस परख के दौरान प्रश्नकर्ता के अंतर्जगत में घटित क्या हो रहा है।
प्रश्नकर्ता : आप मुझसे पूछ रहे हैं कि हो क्या रहा है ? मैं तो बस आपको समझने की कोशिश कर रहा हूँ।
कृष्णमूर्ति : क्या आप मुझे समझने की कोशिश कर रहे हैं या कि, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, आप उसकी सच्चाई को देख रहे हैं जो मुझ पर निर्भर नहीं करती ? यदि आप, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, उसकी सच्चाई को वस्तुतः देख रहे होते हैं, तब आप स्वयं अपने गुरु होते हैं, और स्वयं के ही आप शिष्य होते हैं, जो कि अपने आप को समझना है। यह समझ किसी और से नहीं सीखी जा सकती।
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Binding | Paperback |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2019 |
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जे. कृष्णमूर्ति
जिड्डू कृष्णमूक्ति का जन्म 1895 ई. में भारत के वर्तमान आंध्र प्रदेश राज्य में हुआ था। जब वे तेरह वर्ष के थे, तो थियोसोफिकल सोसाइटी ने उन्हें अपनी देख-रेख में ले लिया तथा यह घोषित किया कि उनमें आगामी विश्व-शिक्षक मैत्रेय बुद्ध का अवतरण होगा। इस अवतरण के विषय में सोसाइटी में पूर्व से ही मान्यता थी। बाद के वर्षों में कृष्णमूर्ति एक ऐसे प्रभावशाली और स्वतंत्रचेत्ता शिक्षक के रूप में हमारे सामने आते हैं, जिन्हें किसी श्रेणी में परिभाषित नहीं किया जा सकता; उनकी वार्ताएं तथा लेखन किसी भी धर्मविशेष से नहीं जुड़े हैं और उनकी शिक्षाएं केवल पूर्व तथा पश्चिम के लिए नहीं, अपितु संपूर्ण मानवता के लिए हैं।
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