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Description
‘पिछले पन्ने की औरतें’ और ‘पचकौड़ी’ जैसे बहुचर्चित उपन्यासों की लेखिका डॉ. शरद सिंह की यह पुस्तक उन औरतों के बारे में है जो इसी समाज में रह रही हैं किन्तु उनकी नियति समाज की अन्य औरतों की भांति नहीं है।
अछूते विषयों पर अपने लेखन के लिए ख्यातलब्ध इस युवा लेखिका ने एक बार फिर एक नए विषय को विश्लेषणात्मक ढंग से सामने रखते हुए उन औरतों की समस्याओं को उजागर करने का साहसिक कार्य किया है जो बीड़ी उद्योग के लिए तेंदू पत्तों के संग्रहण का काम करती हैं तथा जो उन पत्तों से बीड़ियां बनाने का कार्य करती हैं।
ये औरतें कामकाजी हैं, श्रमिक हैं, घरेलू हैं और इन्होंने अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए स्वयं को पत्तों में क़ैद कर रखा है, चाहे वह तेंदू का हरा पत्ता हो या सूखा पत्ता या फिर तम्बाकू के पत्ते का चूर्ण हो।
शरद सिंह की स्त्री विमर्श पर यह नवीनतम पुस्तक ‘पत्तों में क़ैद औरतें’ उन औरतों की जीवन-दशाओं से साक्षात्कार कराती है जो सबके सामने हैं, फिर भी अनदेखी हैं।
इस पुस्तक में अनेक चौंकाने वाले तथ्य हैं तथा इसमें निहित जीवन-कथाएं मन को उद्वेलित करने में सक्षम हैं। यह पुस्तक उन औरतों के बीच ला खड़ा करती है जो पत्तों की क़ैद में हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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