Aahat Desh

-24%

Aahat Desh

Aahat Desh

295.00 225.00

In stock

295.00 225.00

Author: Arundhati Roy

Availability: 10 in stock

Pages: 183

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9788126722495

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

आहत देश

वह जंगल जो दण्डकारण्य के नाम से जाना जाता था और जो पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ से लेकर आन्ध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों को समेटता हुआ महाराष्ट्र तक फैला है, लाखों आदिवासियों का घर है। मीडिया ने इसे ‘लाल गलियारा’ या ‘माओवादी गलियारा’ कहना शुरु कर दिया है। लेकिन इसे उतने ही सटीक ढंग से ‘अनुबन्ध गलियारा’ कहा जा सकता है। इससे रत्ती-भर फ़र्क नहीं पड़ता कि संविधान की पाँचवीं सूची में आदिवासी लोगों के संरक्षण का प्रावधान है और उनकी भूमि के अधिग्रहण पर पाबन्दी लगायी गयी है। लगता यही है कि यह धारा वहाँ महज़ संविधान की शोभा बढ़ाने के लिए रखी गयी है – थोड़ा-सा मिस्सी-ग़ाज़ा, लिपस्टिक-काजल। अनगिनत निगम, छोटे अनजाने व्यापारी ही नहीं, दुनिया के दैत्याकार-से-दैत्याकार इस्पात और खनन निगम-मित्तल, जिन्दल, टाटा, एस्सार, पॉस्को, रिओ टिंटो, बीएचपी बिलिटन और हाँ, वेदान्त भी-आदिवासियों के घर-बार को हड़पने की फिराक में हैं।

माओवादी हिंसा की भयावह कहानियों खोजने वाले (और न मिलने पर उन्हें गढ़ लेने वाले) ख़बरिया चेनल लगता है किस्से के इस पक्ष में बिलकुल दिलचस्पी नहीं रखते। मुझे अचरज है, ऐसा क्यों ? युद्ध, भारत की सीमाओं से चलकर देश के हृदय-स्थल में मौजूद जंगलों तक फैल चुका है। भारत की सर्वाधिक प्रतिष्ठा सम्पन्न लेखिका द्वारा लिखित यह पुस्तक ‘आहत देश’ कुशाग्र विश्लेषण और रिपोर्टों के संयोजन द्वारा उभरती हुई वैश्विक महाशक्तियों के समय में प्रगति और विकास का परीक्षण करती है और आधुनिक सभ्यता को लेकर कुछ मूलभूत सवाल उठाती है।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Aahat Desh”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!