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Description
अक्स
लम्बे समयान्तराल के बाद अब प्रस्तुत है, विख्यात कथाकार, सम्पादक, संस्मरणकार अखिलेश की नयी
कृति- ‘अक्स’।
अक्स किसका ? लेखक के समय का ? समाज का ? या उन किरदारों का जिनकी ज़िंदगी की टकसाल में इस किताब के शब्द ढले हैं ? ख़ुद अखिलेश के अपने जीवन का अक्स तो नहीं ? वास्तव में ये सभी यहाँ आपस में इस कदर घुले-मिले हैं कि अलगाना असम्भव है। एक को छुओ तो अन्य के अर्थ झरने लगते हैं। दरअसल, ‘अक्स’ में वक़्त की कहानी में लेखक की आत्मकथा शामिल है तो लेखक की रामकहानी में वक़्त। अखिलेश ने सबको अद्भुत ढंग से आख्यान की तरह रचा है। अतः कोई चाहे, ‘अक्स’ को उपन्यास की तरह भी पढ़ सकता है।
विरोधी लगते अवयवों की जुगलबन्दी से अभिनव अभिप्राय रचने में अखिलेश सिद्धहस्त हैं। वह ‘अक्स’ में जीवन और मृत्यु का विपर्यय उपस्थित करते हैं। पाठक मृत्यु की पीड़ा से रूबरू होता है लेकिन साथ में ज़िंदगी का जश्न भरपूर है। अखिलेश मौत के मुक़ाबले में जीवन की स्मृति को उतारते हैं। स्मृति इस किताब का बुनियादी राग है जो समूची कृति में बजता रहता है।
‘अक्स’ में अनेक महत्त्वपूर्ण लेखकों को केन्द्र में रखकर संस्मरण हैं। ये रचनाकार अखिलेश को क़रीब चार दशकों की रचनायात्रा में समय-समय पर मिले; इस नज़रिये से ‘अक्स ‘ बीते चालीस साल के साहित्य जगत् का दिलचस्प, अब तक अनकहा, जीवन्त दास्तान भी है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि अखिलेश की यह
बहु प्रतीक्षित कथेतर रचना अपनी सजीवता, पठनीयता, बहुस्तरीय अर्थप्रवाह के कारण विपुल पाठक वर्ग की सराहना हासिल करेगी।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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