Amar Shaheed Bhagat Singh

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Amar Shaheed Bhagat Singh

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150.00 125.00

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Author: Vishnu Prabhakar

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2017

Binding: Hardbound

ISBN: 9788188118335

Language: Hindi

Publisher: Kitabghar Prakashan

Description

अमर शहीद भगत सिंह

‘मुझे दण्ड सुना दिया गया है और फांसी का आदेश हुआ है। इन कोठरियों में मेरे अतिरिक्त फांसी की प्रतीक्षा करने वाले बहुत-से अपराधी हैं। ये लोग यही प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी तरह फांसी से बच जाएँ, परंतु उनके बीच शायद मैं ही एक ऐसा आदमी हूँ जो बड़ी बेताबी से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जब मुझे अपने आदर्श के लिए फांसी के फंदे पर झूलने का सौभाग्य प्राप्त हागा। मैं खुशी के साथ फांसी के तख्ते पर चढ़कर दुनिया को दिखा दूंगा कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए कितनी वीरता से बलिदान दे सकते हैं।

‘मुझे फांसी का दण्ड मिला है किंतु तुम्हें आजीवन कारावास का दण्ड मिला हैं तुम जीवित रहोगे और तुम्हें जीवित रहकर दुनिया को यह दिखाना है कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए मर ही नहीं सकते, बल्कि जीवित रहकर हर मुसीबत का मुकाबला भी कर सकते हैं। मृत्यु सांसारिक कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त करने का साधन नहीं बननी चाहिए, बल्कि जो क्रांतिकारी संयोगवश फांसी के फंदे से बच गए हैं उन्हें जीवित रहकर दुनिया को यह दिखा देना चाहिए कि वे न केवल अपने आदर्शों के लिए फांसी पर चढ़ सकते हैं, वरन् जेलों की अंधकारपूर्ण छोटी कोठरियों में घुल-घुलकर निकृष्टतम दरजे के अत्याचार को सहन भी कर सकते हैं।’

भगतसिंह ने उक्त विचार अपने उस पत्र में प्रकट किए थे, जो उन्होंने नवम्बर, 1930 में श्री बटुकेश्वर दत्त को लिखा था। श्री दत्त तब मुलतान जेल में थे।

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2017

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