Antariksh Mein

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Antariksh Mein

Antariksh Mein

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60.00 55.00

Author: Gurudutt

Availability: 4 in stock

Pages: 280

Year: 2000

Binding: Paperback

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

अन्तरिक्ष में

प्रथम परिच्छेद

दिल्‍ली स्थित फ्रेण्ड्स-कॉलोनी की विशाल कोठी के ड्राइंग-रूम में प्रविष्ट होते हुए एक वयोवृद्ध व्यक्ति ने वहां बैठी प्रौढ़ावस्था की महिला से पूछा, “बेटा ! सोम का पिता आ गया है क्या ?”

“नहीं पिताजी ! अभी नहीं आये हैं। हवाईपत्तन से उनका फोन आया है कि हवाई जहाज एक घण्टा विलम्ब से आ रहा है। उन्होंने कहा है कि वे सोम को लेकर ही आयेंगे।”

वृद्ध वहां रखी एक कुर्सी पर बैठ गया और बोला, “तब तो काफी विलम्ब हो जायेगा। तुम मुझे अल्पाहार करा दो, मुझे भूख लग रही है।”

“हां, समय काफी हो गया है।” यह कहते हुए उस महिला ने अपने सोफे के बाई ओर लगे बिजली के स्विच को दबाया तो दूर कहीं कोठी के किसी कोने में घण्टी की आवाज सुनाई दी। तभी उस ओर से एक स्वर सुनाई दिया जोकि ड्राइंग-रूम के द्वार पर लगे स्पीकर से आ रहा था, “जी, हाजिर हूं।”

महिला ने भी उसी स्पीकर की ओर मुख किया और बोली, “पिताजी के लिए नाश्ता भेज दो।”

‘‘जी, अभी भेजता हूं।’’ दूसरी ओर से उत्तर सुनाई दिया।

वृद्ध व्यक्ति मुस्कराता हुआ उस महिला की ओर देख रहा था। महिला को इसमें किसी प्रकार की विलक्षणता अनुभव नहीं हुई।

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Authors

Binding

Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2000

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