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Armeniayi Jansanhar : Ottoman Samrajya Ka Kalank
₹895.00 ₹715.00
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Author: Mane Mkrtchyan, Suman Keshari
Pages: 352
Year: 2021
Binding: Hardbound
ISBN: 9789390971367
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
आर्मेनियाई जनसंहार : ऑटोमन साम्राज्य का कलंक
2015 में आर्मेनियाई जनसंहार को सौ वर्ष हो गए, हममें से कितनों को इसके बारे में पता है ? जबकि सच्चाई यह है कि आर्मेनियाई जनसंहार निर्विवाद रूप से बीसवीं सदी का पहला जनसंहार था ! सच तो यह भी है कि भारत में बहुत से लोग आर्मेनिया नामक देश से भी परिचित नहीं हैं। किन्तु उन्नीसवीं सदी के अन्तिम दशक से लेकर बीसवीं सदी के तीसरे दशक तक निरन्तर सुनियोजित तरीक़े से ऑटोमन साम्राज्य द्वारा आर्मेनियाई मूल के लोगों के संहार को जानना आज इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि आज भी राज्यसत्ताएँ अपनी शक्ति बरकरार रखने के लिए जिन उपायों का प्रयोग करती हैं, उनमें से प्रमुख है अपने देश के किसी भी प्रकार के अल्पसंख्यकों को सारी परेशानियों की जड़ बताकर उनको प्रताड़ित करना। प्रथम विश्वयुद्ध के पहले ऑटोमन साम्राज्य में लगभग 20 लाख आर्मेनियाई रहते थे और उनमें से क़रीब 15 लाख आर्मेनियाई सन् 1915-1923 के बीच मार डाले गए और शेष का बलात् धर्मान्तरण या विस्थापन कर दिया गया। तुर्की ने आज तक इस जनसंहार को स्वीकार नहीं किया है।
दरअसल ज़रूरत इस बात की है कि इस जनसंहार की घटना को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाए, ताकि आनेवाली पीढ़ियाँ सुलह के रास्ते ढूँढ़ सकें और विश्व-भर के लोग जनसंहार की पनप रहीं स्थितियों के प्रति सचेत हो जाएँ। इस पुस्तक का उद्देश्य यही है।
Authors | |
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
सुमन केशरी
कवि-कथानटी सुमन केशरी (15 जुलाई, मुजफ़्फ़रपुर, बिहार) इन दिनों जीवन से साहित्य रच रही हैं और साहित्य को जीवन में जी रही हैं। कविता, शोधपरक लेख, कहानियाँ, विमर्श और यात्रा-वृत्तान्त लिखते-लिखते उन्होंने हाल ही में नाटक लिखने की शुरुआत की है।
प्रशासन से लेकर अध्यापन और फिर सामाजिक सक्रियता सभी में उनकी रुचि है। वे मानती हैं कि उनका लेखक उनकी ज़िम्मेदार नागरिक होने की भूमिका से ही रस-प्राण पाता है।
उनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हैं-याज्ञवल्क्य से बहस (2008), मोनालिसा की आँखें (2013), पियामिडों की तहों में (2018) और एक ई-बुक – शब्द और सपने (2015)।
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