Bachi Hui Prithavi

-12%

Bachi Hui Prithavi

Bachi Hui Prithavi

125.00 110.00

Out of stock

125.00 110.00

Author: Leeladhar Jagudi

Availability: Out of stock

Pages: 120

Year: 2003

Binding: Hardbound

ISBN: 8171784097

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

बची हुई पृथ्वी

नयी कविता के सशक्त कवि लीलाधर जगूड़ी की ताजश कविताओं का संकलन – ‘बची हुई पृथ्वी’, जिसकी कविताएँ पाठकों को शब्दों की चित्रात्मकता से प्रभावित भी करेंगी और जीवन की नयी अर्थवत्ता से सम्मोहित भी। इस संकलन की कविताएँ शाब्दिक कलाबाज़ियों से मुक्त और जीवन के सही सन्दर्भों से जुड़ी हुई हैं।

इन कविताओं में रचनाकार का प्रश्न गौण हो जाता है और कविताएँ स्वतः जीवन का कड़वा यथार्थ भोगती नज़र आती हैं, प्रतीक खुद-ब-खुद बोलने लगते हैं, शब्द मस्तिष्क पर छा जाते हैं और कथ्य हृदय को सहज ही स्पर्श करने लगता है। पाठक महसूस करेंगे कि ये कविताएँ बहुत-कुछ कहने वाले मौन की तरह मुखर हैं; जिनमें मानवीय संवेदनाएँ भी हैं, विवशताओं का त्रिकोण भी है और इस नियति को अस्वीकार करती मनःस्थितियों का आक्रोश भी।

प्रस्तुत संग्रह की कविताओं में कवि अँधेरे और सन्नाटे से घिरी अपनी ‘बची हुई पृथ्वी’ पर इसलिए उगने को अधीर प्रतीत होता है कि उसके अन्दर ‘जूझने’ का हौसला भी है तथा आसपास की ‘वर्तमान पृथ्वी’ उसे इसीलिए आकर्षक लगी है कि वह ‘मिट्टी की गन्ध’ से भरी है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2003

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Bachi Hui Prithavi”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!