Darshanshastra Aur Bhavishya
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दर्शनशास्त्र और भविष्य
‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ पुस्तकमाला की इस आठवीं और अंतिम कड़ी के लेखक प्रो. देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय हैं, जो इस पुस्तकमाला के संपादक भी हैं। संपादक होने के नाते जिस प्रकार उन्होंने पुस्तकमाला की पहली पुस्तक ‘दर्शनशास्त्र के स्रोत’ में पूरे संसार की प्रमुख दार्शनिक प्रवृत्तियों के अध्ययन के लिए एक भूमिका तैयार की थी, उसी प्रकार यहाँ उन्होंने संपूर्ण पुस्तकमाला का विहगावलोकन किया है और उन पर अपनी सारगर्भित टिप्पणियाँ प्रस्तुत की हैं। अंत में उन्होंने इस प्रश्न पर विस्तारपूर्वक विचार किया है कि मनुष्य का भविष्य दर्शनशास्त्र के भविष्य से किस प्रकार जुड़ा हुआ है। संक्षेप में कहें तो यह छोटी-सी पुस्तक दर्शनशास्त्र के गहन प्रश्नों की तह में उतरने की तैयारी के लिए ऐसी पाठ्य सामग्री प्रस्तुत करती है, जो न केवल रोचक बल्कि प्रामाणिक और सटीक भी है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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