Dharti Aaba

-25%

Dharti Aaba

Dharti Aaba

200.00 150.00

In stock

200.00 150.00

Author: Hrishikesh Sulabh

Availability: 10 in stock

Pages: 96

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126719594

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

धरती आबा

…‘‘इतने दिन बीत गए और मैं आज तक मुंडाओं को उनका राज नहीं दिला सका। गुलामी का अँधेरा उनके ऊपर पहले की तरह ही छाया हुआ है। …पर कुछ दरवाज़े तो खुले हैं। …थोड़ी उजास तो आ रही है। मैंने उनके कई बन्धनों को खोल दिया है। अब वे असुरों की पूजा नहीं करते। अब वे प्रेतों से नहीं डरते। अब उन्होंने पहानों- ओझाओं को भेंट चढ़ाना बंद कर दिया है। …पर मैंने यह कैसी राह चुन ली। इतनी कठिन राह। क्या वे सब इस राह पर चल सकेंगे ? जानता हूँ मैं, यह एक कठिन राह है। जब पैर बढ़ाओ, तब काँटे। पर यही एक राह है जिस पर चलकर मुंडा गोरे साहबों के डर और पकड़ से आज़ाद हो सकते हैं। यह जो कुछ हो रहा है, क्या यह सब मैं कर रहा हूँ ? नहीं, मैं अकेला कुछ नहीं कर सकता। …मैं तो बस उनकी साँसों में …उनके मन में …उनकी आत्माओं में …उनकी नसों में एक तेज़ तूफ़ान की तरह रहना चाहता हूँ। उन्होंने मुझे अपना पिता कहा और मैंने उनका पिता बनना स्वीकार किया। वे गुलामी के बंधन से छूटना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें भरोसा चाहिए, और उन्होंने उस भरोसे को मेरे भीतर पाया।…उन्हें एक भगवान चाहिए, वे धर्म के बिना न तो जी सकते हैं और न ही मर सकते हैं। जनम-जनम से वे सिंबोड़ा को पूजते रहे, पर सिंबोड़ा ने उनकी सुधि नहीं ली। मेरे ऊपर उनके भरोसे ने उन्हें मेरे भीतर भगवान दिखाया।

उन्होंने मुझे अपना भगवान माना और मुझे उनका भगवान बनना पड़ा। क्या करता मैं ? उनके भरोसे को कैसे तोड़ता ? मैं जानता हूँ दिकुओं, ज़मींदारों, साहेबों की ताक़त को। पर बिना लड़े कुछ नहीं हो सकता। हार के डर से लड़ने को रोका नहीं जा सकता। मैं जानता हूँ बन्दूक की ताक़त। मालूम है मुझे कि संथाल हूल में हारे, कोल, खरुआ और सरदार हारे, पर लड़ाई सिरफ हार-जीत नहीं होती। …मुझे अपना अंत मालूम है, पर मैं जानता हूँ कि उनकी जीत उनके भरोसे में ही छिपी है। …हाँ मैं आबा हूँ इस धरती का …भगवान हूँ मुंडाओं का…। मैंने मिशन में प्रभु यीशु की प्रशंसा में सुना था कि एक रोटी में उन्होंने हज़ारों-हज़ार लोगों की भूख मिटाई थी। आनंद पांडे के घर सुना था कि भक्त प्रह्लाद के लिए भगवान ने सिंह का रूप धरा और खम्भा से निकलकर उसके मामा को मार डाला। मैं भी उन्हीं की तरह हूँ। लँगोटी पहने, तीर-धनुही लिये, भूखे पेट मुंडाओं को मैंने निडर किया है। आज हर मुंडा निडर है और दुनिया पर राज करनेवाले साहेबों के सामने छाती ताने खड़ा है।’’

– इसी पुस्तक से

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Dharti Aaba”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!