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Description
गन्धमादन
‘गन्धमादन’ कुबेरनाथ राय द्वारा रचित ललित निबन्ध, रिपोर्ताज़ और अनुचिन्तन की एक विचारात्मक पुस्तक है। ऐसा माना जाता है कि ललित निबन्ध स्वाधीन चिन्तन की उपज है। उसमें सारा कौशल बतकही अथवा कहन के सौन्दर्य का है। ललित निबन्ध में सारा दारोमदार भाषा पर है। इसलिए ऐसी मान्यता भी है कि ललित निबन्धों में या रिपोर्ताज़ आदि में एक लेखक अपना व्यक्तित्व रचता है।
कुबेरनाथ राय ने इस पुस्तक में अपने समय की चुनौतियों को बख़ूबी समझा तो है ही बल्कि इन्हें अंकित भी किया है। इस कार्य में उन्होंने अपनी भाषा को निरन्तर एक योग्य साधक की तरह सिद्ध भी किया है। यहाँ यह कहना भी उचित प्रतीत होता है कि उन्होंने उच्च भाषायी मर्यादा को एक आदर्श रूप में प्रस्तुत किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में आधुनिकता, दृष्टि-जल, छप्पन भोगों की इतिहास-नदी, दृष्टि-अभिषेक आदि विषयों के अन्तर्गत लेखक ने एक श्रमसाध्य कार्य किया है
Additional information
| Authors | |
|---|---|
| Binding | Paperback |
| ISBN | |
| Language | Hindi |
| Pages | |
| Publishing Year | 2021 |
| Pulisher |











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