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Description
झारखंड’ का शाब्दिक अर्थ है—जंगल-झाड़ वाला क्षेत्र, जिसे मुगल काल में ‘कुकरा’ नाम से जाना जाता था; जबकि ब्रिटिश काल में यह ‘झारखंड’ नाम से जाना जाने लगा। झारखंड ऐतिहासिक क्षेत्र के रूप में मध्ययुग में उभरकर सामने आया और झारखंड का पहला उल्लेख बारहवीं शताब्दी के नरसिंह देव यानी गंगराज के राजा के शिलालेख में मिलता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड की जनजातियों की अहम भूमिका रही है, क्योंकि 1857 के प्रथम संग्राम के करीब छब्बीस वर्ष पहले ही झारखंड की जनजातियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह किया था। भौगोलिक दृष्टिकोण से झारखंड जितना मनोरम है, उतना ही सुख-समृद्धि के संसाधनों से भी परिपूर्ण है। यहाँ के भू-भाग पर नदियाँ, जलप्रपात, झील, खनिज तथा यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य विस्मय से अभिभूत करने वाले हैं। साथ ही यहाँ परिवहन एवं संचार-व्यवस्था भी काफी सुदृढ़ है। इस ग्रंथ में झारखंड के लोक-साहित्य का विस्तार से वर्णन है। यहाँ की विविध लोक-भाषाओं, साहित्य एवं कलाओं का विश्लेषणात्मक तथा परिचयात्मक अध्ययन सहज-सरल भाषा में प्रस्तुत है। झारखंड के सामाजिक-सांस्कृतिक, भौगोलिक आर्थिक व ऐतिहासिक सरोकारों पर एक संपूर्ण पुस्तक, जो पाठकों की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण और रुचिकर होगी।
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अनुक्रम | |||||
लेखकीय | Pgs. v | ||||
भौगोलिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन | Pgs. 1 | ||||
अंग्रेजों का आगमन एवं कंपनी शासन के विरुद्ध झारखंडियों का विद्रोह | Pgs. 36 | ||||
झारखंड का भौगोलिक परिवेश | Pgs. 69 | ||||
झारखंड की सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्थिति | Pgs. 96 | ||||
झारखंड की लोक-भाषा और उसका साहित्य | Pgs. 133 | ||||
झारखंड की शिक्षा और शिक्षण-संस्थान | Pgs. 151 | ||||
झारखंड में खेल-कूद और खेल विभूति | Pgs. 163 | ||||
झारखंड के रचनाकार और रचनाएँ | Pgs. 175 | ||||
झारखंड के वन एवं पर्यावरण | Pgs. 191 | ||||
आपदा प्रबंधन और झारखंड | Pgs. 213 | ||||
उपसंहार | Pgs. 230 | ||||
सहायक-ग्रंथ-सूची | Pgs. 234 |
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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