Kavishree : Dinkar Granthmala

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Kavishree : Dinkar Granthmala

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99.00 85.00

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Author: Ramdhari Singh Dinkar

Availability: 5 in stock

Pages: 72

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9789389243819

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

कविश्री

‘कविश्री’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ओजस्वी कविताओं का संग्रह है। कविताओं में प्रखर राष्ट्रवाद, प्रकृति के प्रति उत्कट प्रेम एवं मानव-कल्याण-कामना की मंगल-भावना के दर्शन होते हैं। ‘कविश्री’ में संगृहीत हैं दिनकर जी की ‘हिमालय के प्रति’, ‘प्रभाती’, ‘व्याल विजय’ एवं ‘नया मनुष्य’ जैसी प्रसिद्ध प्रदीर्घ कविताएँ, जो हिन्दी काव्य-साहित्य की अमूल्य निधि हैं।

दिनकर का काव्य-व्यक्तित्व जिस दौर में निर्मित हुआ, वह राजसत्ता और शोषण के विरुद्ध हर मोर्चे पर संघर्ष का दौर था। इसलिए ‘कविश्री’ में संकलित रचनाओं को पढ़ना भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में साहित्य के योगदान से भी परिचित होना है। अपने ऐतिहासिक महत्त्व के कारण पाठकों के लिए एक संग्रहणीय और अविस्मरणीय संग्रह। तुम लाशें गिनते रहे खोजनेवालों की लेकिन उनकी असलियत नहीं पहचान सके; मुरदों में केवल यही जिन्दगीवाले थे, जो फूल उतारे बिना लौट कर आ न सके। हो जहाँ कहीं भी नील कुसुम की फुलकारी, मैं एक फूल तो किसी तरह ले जाउँगा; जुड़े में जब तक भेंट नहीं यह बाँध सकूँ, किस तरह प्राण की मणि को गले लगाऊंगा ?

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Paperback

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Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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