News Channelon Ka Jantantra
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Description
न्यूज चैनलों का जनतन्त्र
भारत के राजनीतिक-सामाजिक जीवन में पिछले दो-ढाई दशकों में निजी टेलीविज़न न्यूज़ चैनलों का उभार और बढ़ता प्रभाव एक ऐसी परिघटना है जिसने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय ‘पब्लिक स्फीयर’ को गहरे प्रभावित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक-सामाजिक विमर्शों और एजेंडे को निर्धारित करने और इस तरह जनतान्त्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने में निजी न्यूज़ चैनलों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पुस्तक न्यूज़ चैनलों ख़ासकर निजी हिन्दी न्यूज़ चैनलों और उनके बहाने इस दौर की पत्रकारिता की विभिन्न प्रवृत्तियों की आलोचनात्मक समीक्षा करती है। यह विभिन्न घटनाओं और मुद्दों की न्यूज़ चैनलों द्वारा की गयी कवरेज के विश्लेषण के ज़रिये न्यूज़ चैनलों के बिजनेस मॉडल, राजनीतिक-वैचारिक रुझानों और उनके समाचारकक्षों की सामाजिक संरचना की बारीक छानबीन करती है। वह न्यूज़ चैनलों की पत्रकारिता के निरर्थक शोर-शराबे, तमाशे और सनसनी से आगे बढ़कर सत्ता का भोंपू बनने और राजनीतिक-सामाजिक जीवन में साम्प्रदायिक नफ़रत का ज़हर घोलने और ध्रुवीकरण को बढ़ाने का माध्यम बनने की गम्भीर पड़ताल करती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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