Pahar Per Laltain

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Pahar Per Laltain

Pahar Per Laltain

250.00 190.00

In stock

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Author: Mangalesh Dabral

Availability: 5 in stock

Pages: 72

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171193035

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

पहाड़ पर लालटेन

मंगलेश डबराल का यह कविता संग्रह सोलह वर्ष पहले प्रकाशित हुआ था और पिछले कई वर्ष से अनुपलब्ध था। यह कविता की आंतरिक शक्ति और सार्थकता ही कही जाएगी कि इतना समय बीतने पर भी कविता के समर्थकों के बीच इस संग्रह की जरूरत बनी रही। पहाड़ पर लालटेन के इस तीसरे संस्करण के प्रकाशन के समय पहले संस्करण में लिखी पंकज सिंह की टिप्पणी को याद करना शायद अप्रासंगिक नहीं होगा : ‘‘मंगलेश की कविताएँ जहाँ एक ओर समकालीन जीवन के अँधेरों में घूमती हुई अपने सघन और तीव्र संवेदन से जीवित कर्मरत मनुष्यों तथा दृश्य और ध्वनि बिंबों की रचना करती हैं और हमारी सामूहिक स्मृति के दुखते हिस्सों को उजागर करती हैं, वहीं वे उस उजाले को भी आविष्कृत करती हैं जो अवसाद के समानांतर विकसित हो रही जिजीविषा और संघर्षों से फूटता उजाला है। ‘‘अपने अनेक समकालीन जनवादी कवियों से मंगलेश कई अर्थों में भिन्न और विशिष्ट है।

उसकी कविताओं में ऐतिहासिक समय में सुरक्षित गति और लय का एक निजी समय है जिसमें एक खास किस्म के शांत अंतराल हैं। पर ये शांत कविताएँ नहीं हैं। इन कविताओं की आत्मा में पहाड़ों से आए एक आदमी के सीने में जलती-धुकधुकाती लालटेन है जो मौजूदा अंधड़ भरे सामाजिक स्वभाव के बीच अपने उजाले के संसार में चीजों को बटोरना-बचाना चाह रही है और चीजों तथा स्थितियों को नये संयोजन में नयी पहचान दे रही है। ‘‘कविता के समकालीन परिदृश्य में पहाड़ पर लालटेन की कविताएँ हमें एक विरल और बहुत सच्चे अर्थों में मानवीय कवि-संसार में ले जाती हैं जिसमें बचपन है, छूटी जगहों की यादें हैं, अँधेरे-उजालों में खुलती खिड़कियाँ हैं, आसपास घिर आई रात है, नींद है, स्वप्न-दुस्वप्न हैं, ‘सम्राज्ञी’ का एक विरूप मायालोक है मगर यह सब ‘एक नए मनुष्य की गंध से’ भरा हुआ है और ‘सड़कें और टहनियाँ, पानी और फूल और रोशनी और संगीत तमाम चीज़ें हथियारों में बदल गई हैं।’

‘‘पहाड़ों के साफ पानी जैसी पारदर्शिता इन कविताओं का गुण है जिसके भीतर और आरपार हलचल करते हुए जीवन को हम साफ-साफ देख सकते हैं।’’

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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