Pinjre Ki Udan

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Pinjre Ki Udan

Pinjre Ki Udan

95.00 75.00

In stock

95.00 75.00

Author: Yashpal

Availability: 5 in stock

Pages: 162

Year: 2010

Binding: Paperback

ISBN: 9788180314285

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

पिंजरे की उड़ान

यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी

है।

‘पिंजरे की उड़ान’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘मक्रील’, ‘नीरस रसिक’, ‘हिंसा’, ‘समाज सेवा’, ‘प्रेम का सार’, ‘पहाड़ की स्मृति’, ‘पीर का मज़ार’, ‘दुखी-दुखी’, ‘भावुक’, ‘मृत्युंजय’, ‘शर्त?’, ‘तीसरी चिता’, ‘प्रायश्चित्त’, ‘हृदय’, ‘परायी’, ‘मज़हब’, ‘कर्मफल’, ‘दर्पण’, ‘परलोक और दु:ख’।

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Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

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