Sanskriti Ke Prashn Aur Ramvilas Sharma

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Sanskriti Ke Prashn Aur Ramvilas Sharma

Sanskriti Ke Prashn Aur Ramvilas Sharma

750.00 600.00

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Author: Radhavallabha Tripathi, Vijay Bahadur Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 352

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355184900

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

संस्कृति के प्रश्न और रामविलास शर्मा

रामविलास शर्मा भारतीय समाज, संस्कृति और परम्परा के एक अद्वितीय भाष्यकार हैं। वे अपनी सुदीर्घ साहित्य साधना के द्वारा भारत के अतीत की सटीक पहचान और भारत के भविष्य-निर्माण में संलग्न रहे। उन्होंने साहित्य, कला, संस्कृति और समकालीन इतिहास तथा राजनीति में यूरोपकेन्द्रित विमर्श को विखण्डित करके भारत को आत्म में प्रतिष्ठित करने का अतुल्य प्रयत्न किया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय भाषाओं तथा भाषाचिन्तन को लेकर सम्पूर्ण पश्चिमी सोच को प्रबल तार्किक चुनौती देते हुए तार्किक भाषापरिवार की अवधारणा की भी शवपरीक्षा की।

शर्मा जी ने हिन्दी की जातीयता और भारत की अस्मिता को पुनःपरिभाषित किया, नवजागरण की अवधारणा को विस्तार देते हुए उन्होंने इसकी अन्विति और व्याप्ति भारतीय इतिहास के अनेक सन्धिस्थलों पर सत्यापित की।

वे वैदिक और औपनिषदिक सर्वात्मवाद तथा योरोप के रोमांटिक कवियों के सर्वात्मवाद-दोनों की उनके अनोखेपन में पहचान करते हैं। प्लेटो के द्वारा प्रतिपादित चेतना और पदार्थ का द्वैतभाव तथा हेगल के दर्शन में प्रकृति के परकीकरण की समीक्षा के साथ शर्मा जी योरोपीय सभ्यता की पुनर्मीमांसा भी करते हैं।

रामविलास शर्मा और कवि केदारनाथ अग्रवाल के बीच हुए एक महत्त्वपूर्ण पत्राचार और उनके साथ विजय बहादुर सिंह तथा कवि शलभ श्रीराम सिंह की बातचीत के एक दुर्लभ प्रसंग के साथ प्रस्तुत पुस्तक के विभिन्न लेख उनके द्वारा प्रणीत विपुल वाङ्मय में अन्तर्निहित एकात्मकता, अन्तःसम्बद्धता और अन्तस्सूत्रता की तलाश करते हैं। एक कवि के रूप में रामविलास शर्मा प्रकृति और मनुष्य के सम्बन्धों की नापजोख करते हैं और प्रकृति की गत्यात्मकता के साथ इतिहास को करवट लेता देखते हैं। यह पुस्तक रामविलास शर्मा के कविकर्म की नये सिरे से पहचान कराते हुए उसकी व्याप्ति फनके समग्र आलोचनाकर्म में देखने की जरूरत को रेखांकित करती है।

यह पुस्तक इस तथ्य को भी प्रामाणिक रूप से सत्यापित करती है कि विचारों के इतिहास,  सभ्यता समीक्षा तथा कविता और आलोचना के क्षेत्र में रामविलास शर्मा के समग्र अवदान को आज के सन्दर्भ में नये सिरे से समझा जाना बहुत जरूरी है।

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Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Language

Hindi

Publishing Year

2022

Pulisher

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