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School Ki Hindi (स्कूल की हिन्दी)
₹495.00 ₹395.00
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Author: Krishna Kumar
Pages: 120
Year: 2022
Binding: Hardbound
ISBN: 9788126702794
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
स्कूल की हिन्दी
कृष्ण कुमार का यह नया निबन्ध-चयन उनके शैक्षिक लेखन को एक वृहत्तर सांस्कृतिक सन्दर्भ देता है। बच्चों के लालन-पालन और उनकी शिक्षा से जुड़े सवालों की पड़ताल यहाँ बीसवीं सदी के अन्तिम वर्षों में बदलती-बनती नागरिक संस्कृति की परिधि में की गई है।
खिलौनों और पाठ्य-पुस्तकों की भाषा से लेकर धार्मिक अलगाववाद की राजनीति और सामाजिक विषमता तक एक लम्बी प्रश्न-शृंखला है, जिसमें कृष्ण कुमार अपनी सुपरिचित चिन्ताएँ पिरोते हैं। इन चिन्ताओं में साहित्य की परख, स्त्री की असुरक्षा और भाषा के भविष्य जैसे विविध प्रसंग शामिल हैं। अपनी व्यंजनापरक शैली और चीज़ों को रुककर देखने की ज़िद से कृष्ण कुमार ने एक बड़ा पाठक-वृत्त बनाया है।
अध्यापन और लेखन के बीच कृष्ण कुमार एक व्यक्तिगत पुल बनाने में सफल हुए हैं। यह पुल उनके शैक्षिक सरोकारों को खोजी यात्राओं पर ले जाता है और उनके पाठकों को स्कूल की चारदीवारी और बच्चों के मनोजगत में प्रवेश कराता है।
Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
Publishing Year | 2022 |
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कृष्ण कुमार
दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा के प्रोफेसर हैं और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक रह चुके हैं। उन्हें लन्दन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन ने डी.लिट् की उपाधि प्रदान की है । 2011 में उन्हें ‘पद्मश्री’ प्रदान की गई। शिक्षा सम्बन्धी लेखन के अलावा वह कहानियाँ, निबन्थ और संस्मरण भी लिखते हैं। उनकी अनेक पुस्तकें अंग्रेजी में हैं। कृष्ण कुमार बच्चों के लिए भी लिखते हैं।
कृष्ण कुमार की हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें –:
शिक्षा सम्बन्धी पुस्तकें : राज, समाज और शिक्षा; शिक्षा और जान; शैक्षिक जान और वर्चस्व; बच्चों की भाषा और अध्यापक; दीवार का इस्तेमाल; मेरा देश तुम्हारा देश।
कहानी और संस्मरण : नीली आँखों वाले बगुले, अब्दुल पलीद का छुरा, त्रिकाल दर्शन।
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