Krishna Kumar
कृष्ण कुमार
दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा के प्रोफेसर हैं और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक रह चुके हैं। उन्हें लन्दन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन ने डी.लिट् की उपाधि प्रदान की है । 2011 में उन्हें ‘पद्मश्री’ प्रदान की गई। शिक्षा सम्बन्धी लेखन के अलावा वह कहानियाँ, निबन्थ और संस्मरण भी लिखते हैं। उनकी अनेक पुस्तकें अंग्रेजी में हैं। कृष्ण कुमार बच्चों के लिए भी लिखते हैं।
कृष्ण कुमार की हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें –:
शिक्षा सम्बन्धी पुस्तकें : राज, समाज और शिक्षा; शिक्षा और जान; शैक्षिक जान और वर्चस्व; बच्चों की भाषा और अध्यापक; दीवार का इस्तेमाल; मेरा देश तुम्हारा देश।
कहानी और संस्मरण : नीली आँखों वाले बगुले, अब्दुल पलीद का छुरा, त्रिकाल दर्शन।
निबन्ध और समीक्षा : विचार का डर, स्कूल की हिन्दी, शान्ति का समर, सपनों का पेड़, रघुवीर सहाय रीडर।
बाल साहित्य : आज नहीं पढ़ूँगा, महके सारी गली गली (स्व. निरंकार देव सेवक के साथ सम्पादित), पूड़ियों की गठरी।