Shreshtha Hindi Geet Sanchyan

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Shreshtha Hindi Geet Sanchyan

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260.00 259.00

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260.00 259.00

Author: Kanhaiya Lal Nandan

Availability: 5 in stock

Pages: 480

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9789386771629

Language: Hindi

Publisher: Sahitya Academy

Description

श्रेष्ठ हिन्दी गीत संचयन

मुक्तक के एक प्रभेद के रूप में गीत शब्द का प्रयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र और अमरकोश में इसका उल्लेख है। आधुनिक युग में जिस भावबोध और शैली के गीत लिखे गये, वे सीधे भारतीय गीत परंपरा से यानी वैदिक सामगीतों, बौद्ध थेरीगाथाओं, सिद्धों के चर्यापदों और सन्तों-भक्तों की पदावलियों से अनुप्रेरित रहे हैं। आधुनिक गीतों का जन्म, भारतीय सांस्कृतिक नवजागरण के युग में पश्चिमी अंग्रेजी साहित्य के प्रभाव से उद्भूत स्वच्छन्दतावाद-रोमांटिसिज्म-से हुआ है। इसके निर्माण में विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर के विराट व्यक्तित्त्व, विश्वजनीन मानवतावादी दृष्टि और उसको अभिव्यक्त करने के लिए नवनिर्मित भाषा, शब्दावली गीत-प्रणाली और संगीत-पद्धति का अमूल्य योगदान रहा। सामान्यतः 1920 से 1936 तक के कालखण्ड को छायावादी युग कहा जाता है। इसे हिन्दी गीतों का स्वर्णयुग भी माना गया। गीत विधा इसी युग में प्रौढ़ता को प्राप्त हुई। प्रायः सभी कवियों ने गीत विधा को अपने अनुभूतियों की अभिव्यंजना का माध्यम बनाया। छायावादी कला आत्माभिव्यंजक रही और शिल्प गीतात्मक…क्या विचार..क्या दर्शन..क्या शैली और क्या भाषा..इन सभी में जैसे सम्पूर्ण युग अपने पूर्ववर्ती युग से विशिष्ट और अप्रतिम हो उठा।

प्रस्तुत संचयन विगत शताब्दी के गीतों का एक प्रतिनिधि समुच्चय है, जिसमें मैथिलीशरण गुप्त के गीतों से लेकर हिन्दी गीत के अद्यतन रूप तक की बानगी पाठकों को एक जगह मिल सकेगी। गीत की यह अनवरत यात्रा लम्बी भूमिका से समृद्ध है, जो हिन्दी गीत पर कार्यरत शिक्षार्थियों के शोध के लिए उतनी ही उपयोगी है, जितनी गीत प्रेमियों के पठन के लिए। हिन्दी कविता प्रचलित मुहावरों को गीत में किस तरह इस्तेमाल करती रही, छायावाद युग ने हिन्दी गीत को जो पुष्ट आधार दिया, उसमें परवर्ती गीत ने अपने समसामयिक जीवन को किस तरह रूपायित किया, इसे जानने के लिए यह संचयन एक अनिवार्य सन्दर्भ ग्रंन्थ है। संकलन में एक सौ नब्बे कवियों के सवा तीन सौ गीतों की श्रेष्ठता पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रतिष्ठित रही है। किन्तु जिन्हें एक जगह पा सकना असम्भव था।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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