Shudron Ka Pracheen Itihas
₹895.00 ₹755.00
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
शूद्रों का प्राचीन इतिहास
शूद्रों का प्राचीन इतिहास प्रख्यात इतिहासकार प्रो. रामशरण शर्मा की अत्यंत मूल्यवान कृति है। शूद्रों की स्थिति को लेकर इससे पूर्व जो कार्य हुआ है, उसमें तटस्थ और तलस्पर्शी दृष्टि का प्रायः अभाव दिखाई देता है। ऐसे कार्य में कहीं ‘शूद्र’ शब्द के दार्शनिक आधार की व्याख्या-भर मिलती है, तो कहीं धर्मसूत्रों में शूद्रों के स्थान की, कहीं शूद्रों के गुलाम नहीं होने को सिद्ध किया गया है, तो कहीं उनके उच्चवर्गीय होने को। कुछ अध्ययनों में प्राचीन भारत के श्रमशील वर्ग से संबद्ध सूचनाओं का संकलन-भर हुआ है।
दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे अध्ययनों में विभिन्न परिस्थितियों में पैदा हुई उन पेचीदगियों की प्रायः उपेक्षा कर दी गई है, जिनके चलते शूद्र नामक श्रमजीवी वर्ग का निर्माण हुआ। कहना न होगा कि यह कृति उक्त तमाम एकांगिताओं अथवा प्राचीन भारतीय जीवन के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की प्रकृति से मुक्त है। लेखक के शब्दों में कहें तो ‘‘प्रस्तुत ग्रंथ की रचना का उद्देश्य प्राचीन भारत में शूद्रों की स्थिति का विस्तृत विवेचन करना मात्र नहीं, बल्कि उसके ऐसे आधुनिक विवरणों का मूल्यांकन करना भी है जो या तो अपर्याप्त आँकड़ों के आधार पर अथवा सुधारवादी या सुधारविरोधी भावनाओं से प्रेरित होकर लिखे गए हैं।’’
संक्षेप में, प्रो. शर्मा की यह कृति ऋग्वैदिक काल से लेकर करीब 500 ई. तक हुए शूद्रों के विकास को सुसंबद्ध तरीके से सामने रखती है। शूद्र चूँकि श्रमिक वर्ग के थे, अतः यहाँ उनकी आर्थिक स्थिति और उच्च वर्ग के साथ उनके समाजार्थिक रिश्तों के स्वरूप की पड़ताल के साथ-साथ दासों और अछूतों की उत्पत्ति एवं स्थिति की भी विस्तार से चर्चा की गई है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
Reviews
There are no reviews yet.