Sikkh Guruon Ka Punysmaran (सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण)

-17%

Sikkh Guruon Ka Punysmaran (सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण)

Sikkh Guruon Ka Punysmaran (सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण)

350.00 290.00

In stock

350.00 290.00

Author: Hazari Prasad Dwivedi

Availability: 5 in stock

Pages: 87

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126714100

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने इस पुस्तक में गुरु नानक देव व अर्जुन देव आदि सिख गुरुओं के साहित्यिक पक्ष पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

आचार्य द्विवेदी ने इस पुस्तक में गुरुनानक देव के व्यक्तित्व, सन्देश और महिमा के साथ-साथ शिष्य परम्परा और गुरू अर्जुन देव द्वारा ग्रंथ साहिब के संपादन पर प्रकाश डालते हुए गुरु गोविंद सिंह के जीवन-दर्शन, दशम ग्रंथ तथा भारतीय साहित्य में दशम ग्रंथ के स्थान के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार किया है। निश्चय ही यह पुस्तक शोधार्थियों और सिक्सों के धार्मिक साहित्य में रुचि रखनेवाले अध्येताओं के लिए उपयोगी होगी।

भूमिका

पूज्य पिताश्री आचार्य हजारीप्रसाद द्विवदी की यह नवीन कृति आदरणीया श्रीमती शीला सन्धू के निरन्तर आग्रह का परिणाम है। पिछले कई वर्षों से श्रीमती सन्धू की यह हार्दिक इच्छा थी कि सिक्ख गुरुओं के साहित्यिक पक्ष को लेकर पिताजी कोई रचना उन्हें दें। वैसे तो यह पुस्तक गत वर्ष सितम्बर-अक्तूबर में ही पूरी हो गई थी, पर कई कारणों से उसे प्रेस में नहीं दिया जा सका था। दिसम्बर में श्रीमती सन्‍धू को इसकी पांडुलिपि टाइप कराने के लिए भेजते हुए पिताजी ने यह पत्र श्रीमती सन्धू को लिखा था :

प्रिय शीला बहन,

‘सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण’ भेज रहा हूँ। इसे कृपा करके टाइप करा दें-कम-से-कम दो प्रति। तीन प्रति हों तो और अच्छा। कुछ लेखों की एक ही प्रति रह गई है और इतनी पुरानी हो गई है कि हाथ लगते ही फटती है। मैंने समय-समय पर लिखे हुए लेखों को यथासम्भव एक रूप देने की कोशिश की है। कुछ जोड़ा-घटाया भी है। पर यह किसी जानकार से दिखाने के लिए देने योग्य नहीं है। टाइप हो जाने पर किसी मित्र से दिखा लेना चाहता हूँ। मूल प्रति भी सुरक्षित रखें। उनसे पाठों को मिलाना पड़ेगा। आप स्वयं भी देखें। आपको कुछ विचित्र लगेगा कि मैं दस वर्षों के व्यवधान में ही गुरुमुखी लिपि प्रायः भूल गया था। फिर से मिहनत की है।

अब ठीक हो गया है। पर डर है कि कहीं कुछ अशुद्ध न हो जाए। मुझे ज्ञान कम है। श्रद्धा ही एकमात्र सम्बल है। सो, थोड़ा सावधान रहना आवश्यक हो गया है। इसीलिए टाइप कराने की और फिर से अच्छी तरह मिला लेने की इच्छा है। कष्ट के लिए क्षमा।

विघ्न बहुत आ रहे हैं। जरा जल्दी करा दें।

अनुक्रम

  • भूमिका
  • गुरु नानकदेव : व्यक्तित्व
  • गुरु नानकदेव : सन्देश
  • गुरु नानकदेव : महिमा
  • प्रज्वालितो दीप इव प्रदीपात्‌ : शिष्य-परम्परा
  • गुरु अर्जुनदेव द्वारा ग्रन्थ साहिब का सम्पादन
  • गुरु गोविन्दसिंह (भक्तवीर)
  • गुरु गोविन्दसिंह का जीवन-दर्शन
  • दशम ग्रन्थ
  • भारतीय धार्मिक साहित्य में दशम ग्रन्थ का स्थान
  • और अन्त में

 

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Sikkh Guruon Ka Punysmaran (सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण)”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!