Stree Akansha Ke Maanchitra
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Description
स्त्री आकांक्षा के मानचित्र
गीताश्री का स्त्री-विमर्श नई भाषा में नया अंदाज लेकर आया है। वह स्त्री की मुक्ति के लिए छटपटाहट की कोशिशों को तो पकड़ता ही है, अस्तित्व के संघर्ष को भी बारीक नजर से देखता है। समाज के अनेक अंतरों में अलग-अलग स्तर पर तकलीफ झेलती स्त्री को लेखिका ने आत्मीय अंदाज में परखा है तो उन कारणों की तलाश भी की है, जिनके चलते समूचा स्त्री-विमर्श महज विचार का एक खेल बनकर रह जाता है।
सत्ता की लड़ाई में स्त्री की वस्तुस्थिति हो या घरेलू हिंसा का घिनौना चेहरा, देह का मुक्ति-प्रसंग हो या प्रौढ़ होती स्त्री का दर्द, औरत की आवाज का बिकना हो या उपेक्षित पड़ा आधी दुनिया का स्वास्थ्य, अपने देश की स्त्री का मन हो या पुरुष की मानसिकता-यह पुस्तक बताती है कि समाज में स्वस्थ माहौल कैसे बन सकता है !
लेखिका ने बेहद सामान्य लगने वाले विषयों के बीच से गंभीर चिंतन के सूत्र उठाते हुए स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई प्रदान की है।
यह पुस्तक पुरुषों के लिए विशेष रूप से पठनीय है।
अनुक्रम
भूमिका
मुक्ति के लिए छटपटाहट
आखिर क्यों चुभता है पुरुषों को आईना !
सवाल फैसले में भागीदारी का
वजूद की तलाश में
सत्ता की लड़ाई में पैरों-तले
हत्या के समर्थन में तर्क
‘तलाक…तलाक…तलाक…. अब और नहीं
जी.बी. रोड के अंधेरे
स्त्री देह : बाजार बनाम विमर्श
घरेलू हिंसा पर जरा रुककर
प्रौढ़ होती स्त्री का दर्द
स्त्री : मुक्ति की दिशा में
सुबह होने को है
अंधेरी गली के रोशन मकान
देह का मुक्ति-प्रसंग
लेस्बियन लोक की मानसिकता
अपने कोने की अहमियत
ब्राह्मण की रसोई नहीं स्त्री-देह
देह कहीं, दिल कहीं
जबरन जोगिन बनने पर मजबूर
स्त्री का यौन जीवन : कामना का नीलकुसुम
उठो कवियो कि नई कवयित्री आई है !
बढ़ती उम्र की नई धड़कन
औरत का घर
स्त्री की आंख से ईरान
औरत की आवाज भी बिकती है
आधुनिकाओं के टोटके
उपेक्षित है आधी दुनिया का स्वास्थ्य
पुरुष आखिर क्या चाहता है
औरत क्या चाहती है
छोटे परदे का स्त्री संसार
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher |
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