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स्त्री की दुनिया
अपनी पुस्तक ‘द सेकिंड सेक्स’ में सिमोन प्रायः दुनिया में सब कहीं स्त्री के प्रति अपनाए गये दोहरे मानदण्डों की भर्त्सना करती हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि स्त्री की मुक्ति का मार्ग स्त्री के अपने संघर्ष से ही निकलेगा। यह अकारण नहीं है कि सिमोन स्त्री की स्थिति की तुलना नीग्रो की स्थिति से करती हैं। वे नीग्रो और एक स्त्री की स्थिति में गहरी समानता देखती हैं। वे लिखती हैं, ‘दोनों ही जातियाँ आज पितृसत्ता से मुक्त हो रही हैं और इनके भूतपूर्व स्वामी इन्हें पुरानी जगह रखना चाहते हैं, उन्हीं जगहों में जिनका चुनाव मालिक वर्ग ने किया था। दोनों ही क्षेत्रों में मालिक यथास्थिति के प्रशंसक हैं’ (स्त्री : उपेक्षित, पृ. 29)। सिमोन मानती हैं कि स्त्री और उनके अन्तर्संसार के बारे में स्त्री ही अच्छी तरह से जान सकती हैं। इसका कारण भी स्पष्ट है, क्योंकि उसकी अपनी जड़ें भी नहीं हैं। अन्य मानव प्राणियों की भाँति स्त्री भी एक स्वतन्त्र और स्वायत्त जीव है, लेकिन सदियों से पुरुष अपनी ज़रूरतों और स्वार्थों के अनुकूल उसे गढ़ता रहा है। सिमोन की प्रसिद्ध उक्ति है-स्त्री पैदा नहीं होती, बनाई जाती है। स्त्री के स्वायत्त और स्वतन्त्र जीवन के पक्ष में खड़े होकर भी वे पुरुष के विरोध में नहीं जातीं। एलिस शर्वेजर को ही दिए गये अपने एक साक्षात्कार में वे बताती हैं कि सार्च से उनके सम्बन्धों के कारण नारीवादी आन्दोलन की अनेक अग्रणी नेत्रियाँ उन्हें नारीवादी आन्दोलन में शामिल नहीं करती थीं। अपने इस सम्बन्ध की वजह से उन्हें प्रायः ही शंका और अविश्वास से देखा जाता था।
इसी पुस्तक से…
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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