-20%
Teeja Jagaar
₹490.00 ₹390.00
₹490.00 ₹390.00
₹490.00 ₹390.00
Author: Harihar Vaishnav
Pages: 384
Year: 2016
Binding: Hardbound
ISBN: 9789326352352
Language: Hindi
Publisher: Bhartiya Jnanpith
तीजा जगार
वाचिक परम्परा में पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचरित होते आ रहे लोक महाकाव्य ‘तीजा जगार’ को, नारी के द्वारा, नारी के लिए, नारी की महागाथा कहना अतिशयोक्ति न होगा। आदिवासी बहुल बस्तर अंचल शुरू से ही मातृ-शक्ति का उपासक रहा है। ‘तीजा जगार’ उसी मातृ-शक्ति की महागाथा है। इसमें नारी का मातृ-रूप ही मुखर है। नारी यहाँ तुलसी का बिरवा रोपती है, सरोवर और बावड़ी खुदवाती है, बाग़-बग़ीचे लगवाती है तो निष्प्रयोजन नहीं; वह इनके माध्यम से सम्पूर्ण मानवता, जीव-जन्तु और पेड़-पौधों यानि प्राणि-मात्र के लिए अपनी ममता का अक्षय कोष खुले हाथों लुटाती है।
वर्षों से पिछड़ा कहे जाने को अभिशप्त बस्तर अंचल के आदिवासियों की नैतिक और सांस्कृतिक समृद्धि का दस्तावेज़ है ‘तीजा जगार’। आदिवासियों की घोटुल जैसी पवित्र संस्था को विकृत रूप में पेश करनेवाले विदेशी ही नहीं, देशी नृतत्त्वशास्त्री, साहित्यकार, छायाकार, कलाकार आदि संस्कृति कर्मियों की दृष्टि अब तक अछूती ‘तीजा जगार’ महागाथा के माध्यम हरिहर वैष्णव ने बस्तर की समृद्ध संस्कृति को समग्रता में प्रस्तुत किया है।
बस्तर की लोक-संस्कृति और लोक-गाथा को एक नयी रोशनी में उद्घाटित करती उनकी यह शोधपूर्ण प्रस्तुति रचनात्मक अनुसन्धान के नये प्रतिमान भी स्थापित करती है।
– प्रो. धनंजय वर्मा
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
हरिहर वैष्णव
जन्म: 19 जनवरी, 1955, दन्तेवाड़ा (बस्तर, छ.ग.)।
शिक्षा: हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर।
मूलत: कथाकार एवं कवि। साहित्य की अन्य विधाओं में हिन्दी के साथ-साथ हल्बी, भतरी, छत्तीसगढ़ी में भी समान लेखन प्रकाशन। सम्पूर्ण लेखन-कर्म बस्तर पर केन्द्रित। लेखन के साथ-साथ बस्तर के लोक संगीत तथा रंगकर्म में भी दख़ल।
कृतियाँ: ‘बस्तर की मौखिक कथाएँ’ (लोक साहित्य), ‘मोह भंग’ (कहानी-संग्रह), गुरुमायँ सुकदई कोराम द्वारा प्रस्तुत बस्तर की धान्य देवी की कथा’ लछमी जगार’ (बस्तर का लोक महाकाव्य), ‘बस्तर का लोक साहित्य’ आदि लगभग एक दर्जन पुस्तकें।
Reviews
There are no reviews yet.