Vishvmanch Par Hindi Vivid Aayam

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Vishvmanch Par Hindi Vivid Aayam

Vishvmanch Par Hindi Vivid Aayam

250.00 220.00

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250.00 220.00

Author: Arjun Chavhan

Availability: 5 in stock

Pages: 104

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9789390265329

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

विश्वमंच पर हिन्दी विविध आयाम

भाषा हो या साहित्य, हैं तो साधन ही, मानव जीवन को सुख-सुविधा, समृद्धि और आनंद प्रदान करने के। जीवन में रंजन, रक्षण, चिंतन, प्रबोधन एवं परिवर्तन में इन दोनों का महत्त्व मानना पड़ेगा। इसीलिए समस्त मानव समाज में भाषा और साहित्य की अपनी विशिष्ट महत्ता है और सत्ता भी। अलबत्ता दोनों की अर्थवत्ता, गुणवत्ता और महासत्ता उनकी गरिमा को रेखांकित किये बिना नहीं रहती। लेकिन भाषा और साहित्य के बारे में इस सार्वत्रिक सत्य का स्वीकार करना होगा कि विगत कई वर्षों से, अर्से से भाषा से ज्यादा साहित्य को लेकर समीक्षा और शोध-कार्य अधिक सम्पन्न हुआ। प्रस्तुत ग्रंथ इस अभाव की पूर्ति का सार्थक कदम है।

देश की ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देशों की साहित्यिक, सांस्कृतिक यात्रा करने वाले साहित्यकार और प्रखर आत्रोचक प्रोफेसर डॉ. अर्जुन चव्हाण द्वारा लिखे जाने के कारण इस ग्रंथ की गरिमा आद्‌यंत बरकरार है। अनुभूति की गहनता, चिंतन की प्रखरता और अभिव्यक्ति की स्पष्टता के कारण ‘विश्वमंच पर हिन्दी : विविध आयाम’ ग्रंथ हिन्दी शोध क्षेत्र के लिए सार्थक अवदान है। कुल सात अध्यायों में सम्पन्न इस ग्रंथ को भाषा-चिंतन की सप्तपदी कहना होगा। राजभाषा और राष्ट्रभाषा हिंदी को केंद्र में रखकर लिखे गए इस ग्रंथ में स्थानिक से लेकर वैश्विक स्तर की वास्तविकता को सारगर्भित रुप में किंतु बेबाकी से उद्घाटित किया है। हिंदी के विकास में लोकमान्य तिलक, पंडित मदन मोहन मालवीय और महात्मा गाँधी से लेकर ऐनी बेसेंट, टंडन, काका कालेलकर, विनोबा तथा अम्बेडकर तक के योगदान को रेखांकित करते हुए इसमें विश्वमंच पर हिंदी की शक्ति और सीमाएँ, संचार माध्यम, संगणक तथा विज्ञापन के परिप्रेक्ष्य में हिंदी का गहन-गंभीरता से विवेचन-विश्लेषण किया है। साथ ही देवनागरी लिपि और विश्व हिंदी सम्मेलनों से विश्वमंच पर फलती-फूलती हिंदी का यथार्थ अंकित है खरा, बिखरा और खुरदरा भी।

प्रो. (डॉ.) अर्जुन चव्हाण की सिद्ध हस्त लेखनी, प्रदीर्ध साधना तथा भाषा संबंधी तथ्य एवं तर्कसंगत मान्यताओं से सरोबार यह ग्रंथ हिंदी के विकास और उन्‍नयन को बल एवं दिशा देनेवाला सिद्ध होगा जिसे इस ग्रंथ का सबसे प्रबल और प्रबुद्ध पक्ष मानना पड़ेगा।

– प्रकाशक

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

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