Vishwa Mein Aatankvad

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Vishwa Mein Aatankvad

Vishwa Mein Aatankvad

595.00 495.00

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Author: Virendra Kumar Gaur

Availability: 5 in stock

Pages: 344

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 8171380735

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

विश्व में आतंकवाद

विश्व का विशालतम लोकतंत्र, साथ ही जनसंख्या की दृष्टि से समूचे विश्व का पांचवा भाग भारत निरंतर विकास की ओर उन्मुख है। आज यह आर्थिक क्षेत्र में विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में पहुंचने ही वाला है और संसार-भर के विकासशील देशों का अगुवा बन चुका है। भारत विकसित राष्ट्र का दर्जा कब का पा चुका होता, किंतु पिछले दो-ढाई दशकों से बहुमुखी आतंकवाद ने इसे अपने शिकंजे में दबोच रखा है, जिसके कारण अकसर किए-कराए पर पानी फिर जाता है और हम जहां के तहां ठिठके रह जाते हैं।

लेकिन आज यह संकट समूचे विश्व को ग्रस चुका है और प्राणघाती कैंसर की भांति यह बड़ी तेजी से समूची मानव-सभ्यता को निगलता जा रहा है। मात्र अशक्त और उपेक्षाकृत असहाय छोटे-छोटे विकासशील राष्ट्र ही नहीं, बल्कि अपार संपदा एवं तकनीकी संपन्‍नता के बल पर परम शक्तिशाली अमेरिका-रूस जैसे विकसित राष्ट्रों पर भीं आज आतंकवाद का भीषण कहर टूट पड़ा है। आतंकवाद परिभाषाओं से परे हो चला है और इसके भयानक चेहरे पर न जाने कितने मुखौटे हैं, जो इसे सामान्य पहचान से भी परे ले जाते हैं। सारा विश्व भविष्य की चिंता से त्रस्त होकर आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष करने को कमर कस रहा है, लेकिन अभी तक मानवता के शालीन-सुसंस्कृत प्रयास प्रचंड आतंकवाद की क्रूर एवं नृशंस उग्रवादी गतिविधियों पर जरा भी अंकुश नहीं लगा पाए हैं। मानवता आतंकवाद के भीषण रक्‍तपात से लथपथ हो रही है।

प्रस्तुत पुस्तक के रचयिता वीरेंद्र कुमार गौड़ सेना के कर्मठ योद्धा के रूप में निरंतर आतंकवाद से टकराते रहे हैं। गहरा अनुभव और प्रत्यक्ष जानकारी से समर्थ लेखक ने आतंकवाद पर गहन अध्ययन भी किया है।

प्रस्तुत पुस्तक में समर्थ लेंखक ने विश्व-भर में प्राचीनकाल एवं मध्ययुग से लेकर आधुनिक बहुमुखी उग्रवाद के उद्भव तथा उसके प्रसार पर भी सूचनाएं दी है और प्रामाणिक-अधिकारिक सूत्रों से ऐसी गहरी जानकारी पेश की है जो इस रचना को हिंदी में पहली ऐसी कृति सिद्ध करती है।

आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में रहत किसी भी राष्ट्र के हर प्रबुद्ध नागरिक के लिए यह कृति एक अनिवार्य दस्तावेज सिद्ध होगी।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

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