Zameen Pak Rahi Hai

-19%

Zameen Pak Rahi Hai

Zameen Pak Rahi Hai

295.00 240.00

In stock

295.00 240.00

Author: Kedarnath Singh

Availability: 10 in stock

Pages: 100

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126727179

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

जमीन पक रही है

‘‘केदार जी की कविताओं में व्यक्तिगत और सार्वजनीन, सूक्ष्म और स्थूल, शांत और हिंस्त्र के बीच आवाजाही, तनाव और द्वंदात्मकता लगातार देखी जा सकती है। ‘सूर्य’ कविता की पहली आठ या शायद नौ पंक्तियाँ कुहरे में धुप जैसा गुनगुना मूड तैयार करती ही हैं कि ‘खूंखार चमक, आदमी का खून, गंजा या मुस्टंड आदमी, सर उठाने की यातना’ इस गीतात्मक मूड को जहाँ एक और नष्ट करते से लगते हैं वहां उसका कंट्रास्ट भी देते हैं। दुनिया की सबसे आश्चर्यजनक चीज रोटी ताप, गरिमा और गन्ध के साथ पाक रही है।

केदार जी चाहते तो इस मृदु चित्र को कुछ और पंक्तियों में ले जा सकते थे लेकिन शीघ्र ही रोटी एक झपट्टा मरने वाली चीज में बदल जाती है और कवि आदिमानव के युग में पहुँच जाता है-वह कहता अवश्य है की पकना लौटना नहीं है जड़ों की ओर, किन्तु रोटी का पकना उसे आदिम जड़ों की ओर ले जाता है। उसकी गरमाहट उसे नींद में जगा रही है, आदमी के विचारों तक पहुँच रही है और वह समझ रहा है कि रोटी भूखे आदमी की नींद में नहीं गिरेगी बल्कि उसका शिकार करना होगा और यह समझना कविता लिखते हुए भी कविता लिखने की हिमाकत नहीं बल्कि आग की ओर इशारा करना है।

केदार जी की कविताओं का अपनापन असंदिग्घ है और वे कवि और कविताओं की भारी भीड़ में भी तुरंत पहचानी जा सकती हैं।’’

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Zameen Pak Rahi Hai”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!