Adarsh Agarwal
आदर्श अग्रवाल
जन्म : 27 नवम्बर, 1937 ! छोटी उम्र की ही थीं कि ईश्वरीय प्रेम में रंग गई ! ननिहाल ब्रजभूमि में था ! नाना के घर मथुरा जातीं तो उन्हें सदा भगवद्गीता, नाम-जप और आराधन के पवित्र स्वर सुनाई देते ! पिताश्री की आर्यसमाज के प्रति अगाध श्रद्धा थी ! उनकी संगरूर की बड़ी हवेली में हर पारिवारिक आयोजन में हवं के साथ-साथ वैदिक मन्त्रों और श्लोकों का विधिवत उच्चारण होता !
ईश्वरीय भक्ति से ओत-प्रोत इस परिवेश ने उनके अंतःकरण पर गहरी छाप डाली ! स्कूल-कालेज के दिनों में उन्होंने कान्हा की कई सशक्त वाटर कलर पेंटिंग्स बनाई ! रणवीर गवर्मेंट कॉलेज, संगरूर से अर्थशास्त्र (इकोनोमिक) में बीए की !
16 फ़रवरी, 1957 के दिन उनका श्री सतप्रकाशजी अग्रवाल से विवाह हो गया ! पति बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से इंजिनियर थे, बड़े जेठ प्रख्यात डॉक्टर और सास-श्वसुर सहित समस्त अग्रवाल परिवार अध्ययनशील तो था ही, साथ ही शिक्षा, सामाजिक सेवा और ईश्वरीय प्रेम के प्रति गहरा समर्पित था ! सतप्रकाशजी को गंगा मैया और देवभूमि से अटूट लगाव था ! परिवार के साथ दोनों हर बरस हरिद्वार-ऋषिकेश की यात्रा करते, परमार्थ निकेतन में रूकते, सुबह-शाम आरती में भाग लेते, गंगा के किनारे बालूतट पर बैठे भिक्षु साधू-बाबाओं से आशीष लेते और गंगाजी की आरती की मंत्रमुग्ध कर देनेवाली छवियों को अपने भीतर समां फूलों और दीयों से सजी छोटी-छोटी नौकाओं को गंगा मैया की लहराती गोद में उतार ख़ुशी पाते ! कालांतर में दोनों ने वाराणसी, प्रयाग, माउंट आबू, कन्याकुमारी, भुवनेश्वर, कोणार्क, उदयगिरी, नंद्गिरी, कतरा सहित आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों धामों की यात्रा की, जिनमे बदरीनाथ के साथ केदार धाम की दुर्गम यात्रा भी शामिल थी !
आदर्श जी के अनुसार भजन, दोहे, लोकगीत और आराधन-गीत भारत की लोक-श्रवण परंपरा का अटूट हिस्सा हैं ! इनमें देश की संस्कृति की खुशबू बसी है ! ये संगीतमय अभिव्यक्तियाँ भारतीय लोकमानस की सनातन श्रद्धा का प्रतीक हैं और विश्वास-आस्था का सुर संगम हैं !