Birendra Kumar Bhattacharya

Birendra Kumar Bhattacharya

बीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य

जन्म : 14 अक्टूबर, सन् 1924।

मृत्यु : सन् 1997।

भारतीय साहित्य के यशस्वी हस्ताक्षर बीरेन्द्रकुमार भट्टाचार्य का जन्म 14 अक्टूबर 1924 को असम के पूर्वी अंचल में, एक चाय बागान परिसर में हुआ। जोरहाट गवर्नमेंट हाई स्कूल और गुवाहाटी के काटन कालेज में पढ़ाई के बाद, वे साहित्य लेखन, पत्रकारिता और स्वाधीनता आन्दोलन में एक साथ कूद पड़े और तीनों ही क्षेत्र में अपने समर्पित योगदान के लिए अपनी विशिष्ट पहचान बनायी। पिछले पचास सालों में उनके पचास से अधिक ग्रंथ प्रकाशित हैं—जिनमें उपन्यास, कहानी-संग्रह, कविता-संकलन, यात्रा-वृत्त तथा निबंध, लोक साहित्य तथा गद्य लेखन सभी सम्मिलित है। अपने लेखन के लिए विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों तथा साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित एवं अभिनंदित डॉ. भट्टाचार्य ‘इयारुइंगम’ के लिए वर्ष 1961 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित तथा ‘मृत्युञ्जय’ के लिए वर्ष 1979 के भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हुए। वे साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष एवं अध्यक्ष भी रहे।

कृतियाँ :

उपन्यास : ‘इयारुइंगम, मृत्युंजय, प्रतिपद, प्रजा का राज, पाखी घोड़ा।

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