Chavinath Pandey
सरवांतीस
सरवांतीस (1547-1616) विश्व साहित्य के सुपरिचित और लोकप्रिय स्पानी कथाकार हैं। उनके रचना कर्म का उद्देश्य नैतिक-अनैतिक घटनाक्रमों के चित्रण के माध्यम से मनुष्य के आध्यात्मिक अनुभवों का चित्रण करना है।
सरवांतीस की प्रकाशित कृतियों में उनकी कविताएँ नाटक और उपन्यास शामिल हैं। अपने समय के सर्वाधिक प्रतिभाशाली नाटककार के रूप में उन्होंने पद्यात्मक और गद्यात्मक दोनों ही तरह के नाटक लिखे। अपने नाटकों में सरवांतीस ने मानवीय कमज़ोरियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण परिहास के माध्यम से अपनी सच्ची सार्वजनीनता प्रदर्शित की है।
सरवांतीस के उपन्यासों के नाम हैं-प्रिगेरा पार्ते दे ला गालातेआ (1585), एल इनख़ेनिओसो इदाल्गो दोन किखोते दे ला मांचा (1605), नोवेलस एख़ेमप्लारेस (1613), सेगूंदा पार्ते देल इनखेनिओसो काबाल्येरो दोन किखोते दे ला मांचा (1615) तथा लोस त्राबाखोस दे पेरसीलेस ई सीखिसमूंदा, इस्तोरिया सेतेनत्रिओनाल (1617)।
अपने जीवनकाल में ही अप्रत्याशित रूप से लोकप्रिय साहित्यकार सरवांतीस का साहित्य विश्व की प्रायः प्रमुख भाषाओं में अनूदित, प्रशंसित और सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।
प्रतिष्ठित अनुवादक छविनाथ पांडेय द्वारा प्रस्तुत डान क्विग्जोट के इस सरस अनुवाद के माध्यम से वृहत्तर हिन्दी क्षेत्र का पाठक निश्चय ही विश्व साहित्य के इस महान पात्र-रचना से परिचित और आनंदित हो सकेगा।