Gorakhnath

Gorakhnath

गोरखनाथ

गोरखनाथ या गोरक्षनाथ प्रख्यात नाथ योगी थे। उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेक ग्रंथों की रचना की। गोरखनाथ का मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है।

गोरखनाथ के समय के बारे में भारत में अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार की बातें कही हैं। जॉर्ज वेस्टन ब्रिग्स (गोरखनाथ एंड कनफटा योगीज़, कलकत्ता, 1938) ने इस संबंध में प्रचलित दंतकथाओं के आधार पर कहा है कि जब तक और कोई प्रमाण नहीं मिल जाता तब तक वे गोरखनाथ के विषय में इतना ही कह सकते हैं कि गोरखनाथ ग्यारहवीं शताब्दी से पूर्व या संभवतः आरंभ में, पूर्वी बंगाल में प्रादुर्भूत हुए थे।

मत्स्येंद्रनाथ अथवा मछिंद्रनाथ 84 महासिद्धों में से एक थे। वे गोरखनाथ के गुरु थे जिनके साथ उन्होंने हठयोग की स्थापना की। उन्हें संस्कृत में हठयोग की प्रारंभिक रचनाओं में से एक कौलज्ञाननिर्णय (कौल परंपरा से संबंधित ज्ञान की चर्चा) का लेखक माना जाता है। वे हिंदू और बौद्ध दोनों ही समुदायों में प्रतिष्ठित हैं। मछिंद्रनाथ को नाथ प्रथा का संस्थापक भी माना जाता है।

गोरखनाथ के अध्येता डॉ. पीतांबरदत्त बड़थ्वाल की खोज में 40 पुस्तकों का पता चला था, जिन्हें गोरखनाथ-रचित बताया जाता है। डॉ. बड़थ्वाल ने बहुत छानबीन के बाद उनमें इन 14 ग्रंथों को असंदिग्ध रूप से प्राचीन माना—सबदी, पद, शिष्यादर्शन, प्राण-सांकली, नरवैबोध, आत्मबोध, अभय मात्रा जोग, पंद्रहतिथि, सप्तवार, मछिंद्र गोरख बोध, रोमावली, ग्यान तिलक, ग्यान चौंतीसा, पंचमात्रा।

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