Lakshman Gaikwad Translated Suryanarayan Ransubhe

Lakshman Gaikwad Translated Suryanarayan Ransubhe

लक्ष्मण गायकवाड (जन्म : 1956) प्रतिष्ठित मराठी उपन्यासकार तथा सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आपने लेखन की शुरुआत 1977 से की। आपकी प्रथम कृति आत्मकथा उचल्‍या है, जो आत्मकथात्मक उपन्यास शैली में लिखी गई है। इस कृति के लिए आपको साहित्य अकादेमी पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। उचल्या का अनुवाद अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगु, गुजराती, तमिळ, मलयाळम्‌, उर्दू, कन्‍नड, बाङ्ला, असमिया आदि कई भाषाओं में हुआ है। फिल्म डिविजन, भारत सरकार द्वारा तथा फ्रेंच में इस उपन्यास पर फिल्म भी बनी है। उचल्या कर्नाटक के सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल है। उचल्या के अतिरिक्त आपके चर्चित उपन्यास हैं – दबंग, चीनी मथाची दिवस, समाज साहित्य अनि स्वतंत्रा, वादर वेदणा, वकिला परिधि, उतव आदि। आप साहित्य अकादेमी के मराठी परामर्श मंडल के संयोजक, साहित्य और संस्कृत मंडल , महाराष्ट्र सरकार के सदस्य तथा कई उच्च संस्थानों के सदस्य एवं अध्यक्ष रह चुके हैं। आप खानाबदोश जनजातियों के उत्थान के लिए विशेष रूप से कार्य कर रहे हैं।

सूर्यनारायण रणसुभे : आप मराठी के प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं अनुवादक हैं। आपकी हिंदी और मराठी में 60 पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें प्रमुख हैं – अनुवाद का समाजशास्त्र, कहानीकार कमलेश्वर : संदर्भ और प्रकृति, आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास (समीक्षा)। आपकी अनूदित पुस्तकें हैं-यादों के पंछी (हिंदी), खोंट सत्य (झूठा सच का मराठी अनुवाद) आदि। आप दयानंद कला महाविद्यालय, लातूर में 37 वर्षों तक अध्यापन के बाद सन्‌ 2002 में सेवानिवृत्त हुए। आपको साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार, केंद्रीय हिंदी निदेशालय का पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार का सौहार्द पुरस्कार, हिंदी साहित्य अकादमी का महाराष्ट्र भारती पुरस्कार आदि अनेक सम्मान-पुरस्कार प्राप्त हैं।

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