Madan Gopal
जन्म : 22 अगस्त, 1919 को हाँसी, ज़िला हिसार में।
1938 में सेंट स्टीफेन्स कॉलेज, दिल्ली से बी.एस-सी.।
पत्रकार-जीवन की शुरुआत लाहौर की ‘सिविल एंड मिलिटरी गज़ट’ के सम्पादन से, तत्पश्चात् ‘स्टेट्समैन’ नयी दिल्ली मं काफी अर्से तक संपादकीय विभाग से संबद्ध रहे। बाद में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के विभिन्न विभागों से जुड़े रहे और फिर प्रकाश विभाग के निदेशक पद पर रहकर सेवामुक्त हुए।
1944 में प्रेमचन्द पर अंग्रेजी में एक पुस्तक प्रकाशित की जो उन दिनों तक प्रेमचन्द पर पहली ही पुस्तक थी। पीछे प्रेमचन्द की अनेक कहानियों के अंग्रेजी अनुवाद भी प्रस्तुत किए। मदन गोपाल उन अग्रणी लेखकों में हैं जिन्होंने अंग्रेजी पाठकों को हिन्दी लेखकों से परिचित कराने की शुरुआत की और उनका मुख्य कार्य तुलसी, भारतेन्दु तथा प्रेमचन्द से संबधित है। प्रेमचन्द के पत्रों को बड़े श्रम से एकत्र किया जो दो भागों में ‘चिट्ठी-पत्री’ नाम से प्रकाशित है।
मदन गोपाल ने यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अनेक देशों की यात्रा की है और पी.ई.एन. के पुराने सदस्य की हैसियत से उस संस्था के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशनों में कई बार भाग लिया। अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू के एक अनुभवी पत्रकार और लोकप्रिय लेखक के रूप में मदन गोपाल भली-भाँति सुपरिचित हैं। इस पुस्तक से पूर्व उनकी दो पुस्तकें-पहली, भारतीय विदेशनीति को लेकर ‘इंडिया एज़ ए वर्ल्ड पावर’ तथा दूसरी जो अफ्रीकी देशों के बारे में थी, राजकमल से प्रकाशित हुई थीं।