Manisha
मनीषा
25 अक्टूबर 1968 को उत्तर प्रदेश में जन्मी मनीषा नारी-विमर्श के उन युवा विचारको में से हैं जो भाषा के जरिये आंख में उंगली डालकर अपनी बात समझाने की सामर्थ्य रखती हैं।
1990 से ही लेखन व पत्रकारिता करती आ रही मनीषा ने एकेडेमिक पढ़ाई को सिरे से खारिज करने के बावजूद चालू ढर्रें के चलते दर्शन् में मास्टर किया और अखबारी झंझावात में कूद पड़ी।
स्त्री-विमर्श पर प्रकाशित उनके पहले ही संग्रह ‘हम सभ्य औरतें’ को अद्भुत प्रसिद्धि मिली तथा हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा इस पुस्तक पर मनीषा को सम्मानित किया गया।
स्त्री-विमर्श का अनिवार्य नाम मनीषा उन बेबाक और बेझिझक विचारों से बनी है जो संकोचवश जुबान पर लाने से सामान्यता औरतें हिचकती हैं।
‘हमारी औरतें’ और ‘…और औरत अंग’ के अतिरिक्त पांच अन्य स्त्री-विमर्श संग्रहों का अभिन्न हिस्सा।
संप्रति : पिछले 17 वर्षों से ‘राष्ट्रीय सहारा’ दैनिक के संपादकीय विभाग से संबध।
संपर्क : संपादकीय विभाग, ‘राष्ट्रीय सहारा’, सी-2-3-4, सेक्टर 11, नोएडा, उ.प्र.।