Manorama Biswal Mohapatra

Manorama Biswal Mohapatra

डॉ. मनोरमा विश्वाल महापात्र

काव्य और कला की सारस्वत तीर्थ भूमि शान्तिनिकेतन की छात्रा थीं डॉक्टर विश्वाल महापात्र। काव्य- जिज्ञासा, जो उन्हें आतुर करती रही है; आपके काव्य संग्रहों में ‘थरे खालि डाकिदेले’, ‘स्वातीलग्न’, ‘एकला नईर गीत’, ‘जन्हरातिर मुँह’, ‘शब्दर प्रतिमा’, ‘ फाल्गुनि तिथिर झिअ’, ‘विश्वासर पद्मबन’ निरवंचित कविताएँ आदि में उस अन्वेषा की तन्मयता देखी जा सकती है। उनकी एक स्वतन्त्र दिशा है अभिव्यक्ति की जिससे ओड़िआ सर्जनात्मक कविता के क्षेत्र में श्रीमती मनोरमा विश्वाल महापात्र एक सार्थक तथा आदरणीय नाम है। श्रीमती महापात्र के संग्रह हिन्दी, बांग्ला, तमिल तथा अंग्रेजी में अनूदित हुए हैं। कविता के लिए ओड़िशा साहित्य अकादेमी तथा अन्य अनेक सम्मानों से अलंकृत हुई हैं। मनोरमा विश्वाल महापात्र की कविताएँ ग्रामीण परिवेश और लोक संस्कृति के प्रति गहरा प्रेम दर्शाती हैं। 27 नवम्बर, 1948, प्रथाष्टमी के दिन बालेश्वर के सागर तटवर्ती ‘जगाई’ में जन्मी कवि मनोरमा अब भी तपस्यालीन हैं।

सम्पर्क : ‘प्रीतमपुरी’, 125, आचार्य विहार, भुवनेश्वर – 751013, ओड़िशा।

Email : manobm48@yahoo.co.in

मोबाइल : 09437011003

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