मूलतः शायर लेकिन लोकप्रिय हुए उपन्यासकार के नाते। सन् 1857 ई. के विद्रोह का काल इनके जीवन और रचनाकर्म का समय रहा है। शायरी की कोई पुस्तक उनकी उपलब्ध नहीं हैं। लखनऊ के रहने वाले थे। मशहूर तवायफ़ उमराव जान ‘अदा’ को निजी तौर पर जानते थे। उसके जीवन-संघर्ष ने उन्हें अंतस तक आलोड़ित किया तथा वह उपन्यास लिखने को प्रेरित हुए। उनके शेष जीवन के सम्बन्ध में अधिक जानकारी नहीं मिलती।