Priyadarshi Thakur Khayal

Priyadarshi Thakur Khayal

प्रियदर्शी ठाकुर खय़ाल’

जन्म : 1946, मोतीहारी; मूल निवासी —सिंहवाड़ा, दरभंगा  (बिहार)।

पटना विश्वविद्यालय तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में क्रमश: स्नातक तथा उत्तर-स्नातक।

तीन वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के भगत ङ्क्षसह कॉलेज में इतिहास का अध्यापन; 1970 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने गए जिसके बाद 36 वर्षों तक राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार में कार्यरत रहे तथा 2006 में भारत सरकार में भारी उद्योग व लोक उद्यम मंत्रालय के सचिव-पद से सेवानिवृत्त हुए। सन् 2006-8 के दौरान यूरोप के लुब्लियाना नगर में स्थित ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर प्रोमोशन ऑफ एंटरप्राइजेज के महानिदेशक रहे।

सरकारी मुलाजि़म रहते हुए भी खयाल आजीवन साहित्य साधना से जुड़े रहे। इनकी कविताओं, नज़्मों और गज़लों के सात संकलन प्रकाशित हैं : टूटा हुआ पुल, रात गये, धूप तितली फूल, यह ज़बान भी अपनी है, इंतखाब, पता ही नहीं चलता  तथा यादों के गलियारे में।

क्लासिकी चीनी कविता के अग्रणी हस्ताक्षर बाइ जूई की दो सौ कविताओं के इनके हिन्दी अनुवाद तुम! हाँ, बिलकुल तुम तथा बाँस की कहानियाँ नामक संकलनों में 1990 के दशक में प्रकाशित हुए और बहुचॢचत रहे। बाद के वर्षों में ‘खयाल’ ने कई गद्य पुस्तकों का अनुवाद भी किया जिनमें तुर्की के नोबेल-विजेता ओरहान पामुक के उपन्यास स्नो  का हिन्दी अनुवाद विशेष उल्लेखनीय है।

‘खयाल’ उर्दू के जाने-माने वेबसाइट ‘रेख्ता ऑर्ग’ में सम्मिलित शायर हैं और इनकी गज़लें जगजीत सिंह, उस्ताद अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन, डॉ. सुमन यादव आदि गा चुके हैं।

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