R Krishnamurthy Translated Radha Janardan

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रा. कृष्णमूर्ति ‘कल्कि’ (9 सितम्बर 1899-5 दिसंबर 1958 ) का जन्म तंजावूर (तंजौर) जिले के गाँव बुद्धमंगलम्‌ में हुआ। उनकी ने आरंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में और फिर मयूरम्‌ के नगरपालिका स्कूल में हुई। बीच में अर्थाभाव के कारण पढ़ाई कुछ समय बाधित रही। युवावस्था में माध्यमिक पाठशाला की अंतिम परीक्षा के एक सप्ताह पूर्व महात्मा गाँधी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन में शामिल होकर जेल चले गए। 1928 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी द्वारा आरंभ की गई विमोचन पत्रिका में कार्य करने के लिए गाँधी आश्रम (तिरूच्चइगोडू) में रहने लगे। इसी बीच ‘कल्कि’ उपनाम से लेखन आरंभ किया और आनदविकटन्‌ पत्रिका का संपादन कार्य सँभाला।

1941 में उन्होंने कल्कि नामक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया, जो पहले पाक्षिक, फिर महीने में तीन बार और अंततः साप्ताहिक रूप में प्रकाशित होने लगी। इसी पत्रिका में उनके पार्थिवम्‌ कनवु (पार्थिव का सपना), शिवकामियिन्‌ शपथम्‌ (शिवकामी की शपथ) पान्निदिन शॉल्बन्‌ (कावेरी का लाड़ला) तथा अलैयोशै आदि ऐतिहासिक उपन्यास प्रकाशित हुए। ‘कल्कि’ ने कई लोकप्रिय गीतों की भी रचना की। रा. कृष्णमूर्ति ‘कल्कि’ ने न केवल तमिळ साहित्य के समकालीन, बल्कि अनेक युवा लेखकों को प्रोत्साहित कर तमिळ साहित्य की अभिवृद्धि में अतुलनीय योगदान दिया है।

राधा जनार्दन (जन्म 1950, कोयम्बटूर, तमिलनाडु) जमशेदपुर (बिहार) से शिक्षा। हिंदी में एम.ए. एवम्‌ एम.फिल. बी.एड.। विभिन्‍न शिक्षा संस्थानों में अध्यापन। दुबई में इग्नू के दूरशिक्षा केंद्र में अध्यापक तथा वहीं एम.जी. यूनिवर्सिटी कैम्पस में उप प्रधानाचार्य रहीं। राष्ट्रीय एकता पर कई गीत नाट्यों की रचयिता। हिंदी साहित्य में भारतीयता पुस्तक प्रकाशित। आप द्वारा तमिळ से अनुदित प्रमुख पुस्तके हैं – वनतंत्र (व्यंग्यात्मक निबंध), कोयले की खान प्यास (उपन्यास), आसमान की मछली (काव्य संग्रह)। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ से पुसस्कृत।

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