Rajendra Chandrakant Rai
राजेन्द्र चन्द्रकान्त राय
जन्म : 5 नवम्बर 1953 को जबलपुर में।
शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, नेट।
प्रकाशित कृतियाँ : कामकंदला, फिरंगी ठग, खलपात्र (उपन्यास); बेगम बिन बादशाह, गुलामों का गणतन्त्र, अच्छा तो तुम यहाँ हो (कहानी संग्रह); सहस्रबाहु थैंक्यू स्लीमेन, सलाम हनीफ मियाँ (नाटक)। दिन फेरें घूरे के, बिन बुलाये मेहमान, क्योंकि मनुष्य एक विवेकवान प्राणी है, आओ पकड़ें टोंटी चोर, तरला-तरला तितली आयी, काले मेघा पानी दे, चलो करें वन का प्रबन्धन (बच्चों के लिए नुक्कड़ नाटक); पेड़ों ने पहने कपड़े हरे (पर्या गीत)।
इतिहास ग्रन्थ : इतिहास के झरोखे से, कल्चुरि राजवंश का इतिहास। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा प्रकाशित ऐतिहासिक ग्रन्थ मध्य प्रदेश का न्यायिक इतिहास और न्यायालय में लेखक के लिखे दो अध्याय शामिल।
पर्यावरण लेखन : गैरसरकारी संगठन: स्थापना, प्रबन्धन और परियोजनाएँ, सामान्य पर्यावरण ज्ञान। इण्टैक के लिए अब तक किये गये लेखन कार्य : एक गीत की लोकप्रियता के नब्बे साल : सुभद्रा कुमारी चौहान, एजेन्सी हाउस के 200 साल का लेखन तथा 1857 का विप्लव और जबलपुर जिले का योगदान का अनुवाद। अँग्रेजी भाषा से अनुवाद : स्लीमेन के संस्मरण, स्लीमेन की अवध डायरी, टग की कूटभाया रामासी, उग अमीर अली की दास्तान।
धारावाहिक : एपिक चैनल पर प्रसारित लुटेरे धारावाहिक की कहानी, पटकथा का लेखन तथा स्लोमेन साहित्य के विशेषज्ञ के तौर पर ठगों के इतिहास पर टिप्पणी का प्रसारण।
पटकथा लेखन : जबलपुर के झण्डा सत्याग्रह पर बने वृत्तचित्र का पटकथा लेखन। इण्डिया टुडे पत्रिका द्वारा आयोजित साहित्य आजतक फेस्टिवल में पीले रूमालवाले ठगों पर 18 नवम्बर 2018 को बातचीत की प्रस्तुति।