Ranjana Jaiswal

Ranjana Jaiswal

रंजना जायसवाल

8 अगस्त, 1968 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के पड़रौना में जन्मी रंजना जायसवाल ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की। रंजनाजी साहित्य के अतिरिक्त स्त्री-मुक्ति आंदोलनों और जनवादी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी करती रही हैं। ‘सृजन’ के माध्यम से वह निरंतर साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन तो करती ही हैं, देश की प्रायः सभी लब्धप्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएं, कहानियां और समीक्षा-लेख प्रकाशित होते रहते हैं।

इनके कविता संग्रह ‘मछलियां देखती हैं सपने’, ‘दुःख पतंग’, ‘जिंदगी के कागज पर’ और ‘मैं स्त्री हूं’ से जहां आधुनिक हिन्दी कविता में कुछ विशिष्ट जुड़ा है, वहीं कहानी-संग्रह ‘तुम्हें कुछ कहना है भतृहरि’ भी बेहद चर्चा में रहा है, लेकिन स्त्री विमर्श आधारित इनकी नवीनतम पुस्तक ‘स्त्री और सेंसेक्स’ इन्हें एक अन्यतम पहचान देती है।

अब तक रंजनाजी जी ‘अम्बिका प्रसाद दिव्य प्रतिष्ठा पुरस्कार’, ‘भारतीय दलित साहित्य अकादमी’ और ‘स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान’ से सम्मानित।

संप्रति : अध्यापन।

संपर्क : ई. डब्ल्यू. एस – 210, राप्ती नगर, चतुर्थ चरण, चरगांवा, गोरखपुर-273409 (उत्तर प्रदेश)

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