Ratankumar Sambharia
रत्नकुमार सांभरिया
जन्म : छः जनवरी, सन् उन्नीस सौ छप्पन, गाँव-भाड़ावास, जिला-रेवाड़ी (हरियाणा)।
पिछले 40 वर्षों से राजस्थान में ।
शिक्षा : एम.ए.बी.एड., बी.जे.एम.सी.।
कृतियाँ : हुकम की दुग्गी, काल तथा अन्य कहानियाँ, खेत तथा अन्य कहानियाँ, दलित समाज की कहानियाँ, एयरगन का घोड़ा (कहानी-संग्रह); समाज की नाक (एकांकी-संग्रह); वीमा, उजास, भभूल्या (नाटक) ; बांग और अन्य लघुकथाएँ, प्रतिनिधि लघुकथा शतक (लघुकथा-संग्रह); मुंशी प्रेमचन्द्र और दलित समाज (आलोचना) ; डॉ. अम्बेडकर : एक प्रेरक जीवन (सम्पादन)। देश की अधिकांश स्थापित पत्रिकाओं में कहानियाँ, लघुकथाएँ और समीक्षाएँ प्रकाशित। ‘मैं जीती’ कहानी पर टेलीफिल्म।
अनुवाद : रचनाओं का अंग्रेजी, मराठी, पंजाबी, सिन्धी, गुजराती, ओड़िया सहित अन्य भाषाओं में अनुवाद। “‘Thunderstorm Dalit Stories’, ‘U.K. London and Company Hachette India के द्वारा प्रकाशित तथा जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल 2016 में विमोचन एवं चर्चा। विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में कहानियाँ, लघुकथाएँ एवं नाटक सम्मिलित।
सम्मान : नवज्योति कथा सम्मान। सहारा समय कथा चयन प्रतियोगिता, 2005 में पुरस्कृत, ‘चपड़ासन’ कहानी के लिए उपराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित। कथादेश अखिल भारतीय हिन्दी कहानी प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार-2007 ‘बिपर सूदर एक कीने’ कहानी पर। राजस्थान पत्रिका सृजनात्मक पुरस्कार-2007 ‘खेत’ कहानी पर। वर्ष 2014 का हरियाणा गौरव सम्मान। 2017 में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय, भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा का सुब्रह्मण्य भारती साहित्य पुरस्कार।
सम्प्रति : राजस्थान सूचना एवं जनसम्पर्क सेवा के वरिष्ठ अधिकारी-उप निदेशक (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त।
सम्पर्क : भाड़ावास हाउस, सी-37, महेश नगर, जयपुर-302015, राजस्थान