‘असुर आदिवासी’ के लेखक श्रीरंग समकालीन समानान्तर हिन्दी कविता के प्रमुख कवि एवं आलोचक हैं। अब तक इनकी लगभग दर्जन-भर किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके आलेख और रचनाएँ देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। देश के दलित समुदाय, जनजातीय समुदाय तथा विमुक्त एवं घुमन्तू तथा अर्धघुमन्तू समुदायों के प्रति अपनी विशिष्ट दृष्टि के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।