Sunil Baburao Kulkarni
प्रो.सुनील बाबुराव कुलकर्णी
प्रो.सुनील बाबुराव कुलकर्णी का जन्म 01 जून, 1975 को महाराष्ट्र के जालना जिले के देशगव्हाण में हुआ। उन्होंने एम.ए.; पी-एच.डी. की डिग्री भी ली।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘कबीर और तुकाराम के काव्य में प्रगतिशील चेतना’, ‘समकालीन साहित्य विमर्श’, ‘सामाजिक समरसता के अग्रदूत संत कवि’, ‘भाषिक संप्रेषण’, ‘हिन्दी लेखन कौशल विकास और प्रयोजनमूलकता’ (सन्दर्भ पुस्तकें); ‘संत साहित्य की आधुनिक अवधारणाएँ’, ‘राष्ट्रभाषा हिन्दी : कितनी सही कितनी प्रेरक’, ‘भारतीय भक्ति साहित्य में अभिव्यक्त सामाजिक समरसता’, ‘हिन्दी साहित्य : अधुनातन आयाम’, ‘संत साहित्य : अधुनातन आयाम’ (सम्पादित पुस्तकें); ‘ढोता हूँ कविता की पालकी’, ‘भारतीय गाँव : अर्थ एवं राजनीति’, ‘जनसंख्या अध्ययन : मूल्यांकन अनुसंधान’, ‘दमन’, ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय व्यक्तित्व के विविध पहलू’, ‘व्हाट्सएप्प और प्राणियों की अन्य कथाएँ’, ‘सामाजिक समरसता : स्वरूप एवं अवधारणा’ (मराठी से हिन्दी में अनुवाद); दर्जनभर पाठ्यपुस्तकों का सम्पादन।
सम्प्रति : हिन्दी विभागाध्यक्ष तथा अध्यक्ष हिन्दी अध्ययन मंडल, उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगाँव, महाराष्ट्र।
ई-मेल : sunilkulkarni38@gmail.com